पाकिस्तान की संसद के उच्च सदन, सीनेट, में मंगलवार को खालिस्तानी मुद्दे पर चर्चा के दौरान एक नया मोड़ आया, जब पाकिस्तान में सिख समुदाय के एकमात्र सांसद गुरदीप सिंह ने खालिस्तानी एजेंडे का समर्थन किया। पाकिस्तान में सिखों की आबादी बहुत कम है, और गुरदीप सिंह, जो कि खैबर पख्तूनख्वा से सीनेट के सदस्य बने हैं, इस समुदाय से संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले अकेले व्यक्ति हैं। वह इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य हैं और हाल ही में पाकिस्तान में सिखों के अधिकारों और खालिस्तानी मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करने के लिए चर्चा में आए।
गुरदीप सिंह ने पहलगाम पर चल रही डिबेट के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने वाले खालिस्तानी विचारों को उभारा। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के लोग पहले ही पाकिस्तान के समर्थन का ऐलान कर चुके हैं, और इसके साथ ही उन्होंने सिख्स फॉर जस्टिस के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू का उल्लेख किया, जिन्होंने पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया था।
इससे यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान में चल रहे खालिस्तानी आंदोलन को पाकिस्तान से खुला समर्थन मिलता रहा है, जो खालिस्तानी अलगाववादियों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है।
गुरदीप सिंह ने आगे कहा कि भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में पाकिस्तान को दोषी ठहराने में सिर्फ आधे घंटे का समय लिया। उन्होंने इसे पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं देखी गई प्रक्रिया बताया और भारत के इस रवैये को आलोचना की। अपने भाषण में, गुरदीप सिंह ने बार-बार "इंशाल्लाह" और "मदीने की रियासत" जैसी धार्मिक बातें कही, जबकि वह एक ओर खालिस्तानी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे थे। इस विडंबना को देखते हुए उनके भाषण को आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह एक ओर धार्मिक विचारधारा का समर्थन कर रहे थे, तो दूसरी ओर खालिस्तानी आंदोलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर रहे थे।
यह कोई नया मुद्दा नहीं है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में कई खालिस्तानी आतंकवादी पाकिस्तान में मारे गए हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने शरण दी थी।
पाकिस्तान की धरती पर खालिस्तानी तत्वों को खुला समर्थन दिया गया है, और इन आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान एक सुरक्षित पनाहगाह बन गया था। यही नहीं, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों में भी पाकिस्तानियों से खालिस्तानी तत्वों को समर्थन मिल रहा है, जो इन देशों में रहकर पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे हैं।
गुरदीप सिंह ने अपने भाषण में 1984 के सिख दंगों का भी जिक्र किया, और उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि भारत पाकिस्तान को आतंकवादी देश कहता है, लेकिन 1984 के सिख दंगों को भी ध्यान में रखना चाहिए। उनका कहना था कि शायद दुनिया में कोई दूसरा देश नहीं होगा, जहां एक समुदाय के खिलाफ इस तरह के अत्याचार हुए हों। हालांकि, पाकिस्तान में सिखों की आबादी इतनी कम है कि उनकी संख्या कुछ ही हजारों में हो सकती है, फिर भी गुरदीप सिंह ने पाकिस्तान में सिखों के हालात पर कोई बात नहीं की।
इसके बजाय, वह भारत के खिलाफ खालिस्तानी एजेंडा को बढ़ावा देने वाली बातें करते रहे।
गुरदीप सिंह, जो स्वात जिले के निवासी हैं, पाकिस्तान की संसद में 75 वर्षों के इतिहास में पहले पगड़ीधारी सिख सांसद हैं, जिन्हें इस उच्च सदन में जगह मिली है। उनके इस भाषण ने न केवल पाकिस्तान की राजनीति में खालिस्तानी विचारों को एक नया हवा दी, बल्कि यह भी साबित किया कि पाकिस्तान के अंदर खालिस्तानी आंदोलन को समर्थन देने वाली ताकतें सक्रिय हैं।