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पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध को लेकर जावेद अख़्तर का बड़ा बयान, कट्टरपंथियों पर करारा ज़वाब

 30 Apr 2025

कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद, पाकिस्तानी कलाकारों पर भारत में पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ रही है। फवाद खान की स्टारर फिल्म "अबीर-गुलाल" पर भी रोक लगा दी गई है। इस विषय पर जब मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर से सवाल किया गया, तो उन्होंने दो विचार व्यक्त किए, जो दोनों ही समान रूप से तार्किक और संतुलित थे। जावेद अख्तर ने यह भी कहा कि इस समय की स्थिति को देखते हुए, पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाना एक समझदारी का कदम हो सकता है। 


न्यूज18.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, जावेद अख्तर ने इस विषय पर अपनी राय रखते हुए कहा, "दो जवाब हैं, और दोनों ही बराबरी से लॉजिकल हैं। इनमें से कौन सा सही है, इसका फैसला आप सिक्का उछालकर भी कर सकते हैं। यह एकतरफा प्रक्रिया बन चुकी है, नुसरत फतेह अली खान, गुलाम अली, और नूरजहां जैसे पाकिस्तानी कलाकार भारत आए और हमें उनका आदर और सम्मान करने का मौका मिला। इसके साथ ही, फैज अहमद फैज, जो कि उपमहाद्वीप के सबसे महान शायरों में से एक थे, पाकिस्तान में रहते थे क्योंकि वह वहीं जन्मे थे, लेकिन मैं उन्हें सिर्फ पाकिस्तानी शायर के रूप में नहीं देखता। वह शांति और प्यार के शायर थे, और जब अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में फैज अहमद फैज भारत आए, तो उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया।" जावेद अख्तर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में इस प्रकार का स्वागत नहीं हुआ। उन्होंने कहा, "मुझे पाकिस्तान के लोगों से कोई समस्या नहीं है, और मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन जब बात कला और संस्कृति की होती है, तो वहां के कुछ पहलू मुझे समझ में नहीं आते। 

पाकिस्तान के बहुत से बड़े कवियों ने लता मंगेशकर पर कविताएं लिखीं और पाकिस्तान में 60-70 के दशक में लता मंगेशकर भारत की सबसे बड़ी गायिका थीं। लेकिन वहां लता मंगेशकर का कभी कोई सार्वजनिक प्रदर्शन क्यों नहीं हुआ? क्या कारण था कि पाकिस्तान में लता मंगेशकर का कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया? मुझे समझ नहीं आता कि यह रुकावटें वहां के सिस्टम और सरकार की थीं। यह एकतरफा प्रक्रिया ठीक नहीं है और इसे खत्म करने की जरूरत है।" इसके बाद जावेद अख्तर ने एक और महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर भारत में पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया जाए, तो इसका क्या प्रभाव होगा? वह आगे बोले, "दूसरा उतना ही वैध और सही विचार यह है कि अगर हम पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में प्रतिबंधित कर देते हैं, तो इससे पाकिस्तान में हम किसे खुश करेंगे? क्या हम पाकिस्तान के कट्टरपंथियों और सेना को खुश करेंगे? यह वही लोग हैं जो चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़ी दीवार खिंच जाए, ताकि पाकिस्तानी यह न देख सकें कि भारत के लोग कितनी आजादी और सुविधाओं का आनंद ले रहे हैं। वे चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहमति की कोई संभावना न रहे। यह लोग न तो दोस्ती चाहते हैं, न खुशहाली। उनके लिए यह दूरी बनाए रखना ही मुफीद है।" जावेद अख्तर ने दोनों विचारों को पूरी तरह से उचित और सार्थक माना, लेकिन इस समय की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने कहा कि वह फिलहाल किसी एक फैसले पर नहीं पहुंच सकते और इस विषय पर उनका जवाब फिलहाल 'नहीं' है।