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अखिलेश यादव का आरोप: यूपी सरकार सजातीय आरोपियों को बचाती है

 29 Apr 2025

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वाराणसी में सपा कार्यकर्ता और राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन पर हुए हमले का मुद्दा उठाते हुए उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य में सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार सजातीय आरोपियों को पूरी तरह से संरक्षण देती है। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में एक नया फ़ार्मूला चल रहा है, जो 'सत्ता सजातीय को सब माफ़' के रूप में काम करता है। अखिलेश यादव ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “वाराणसी के हरीश मिश्रा पर प्राणघातक हमला हुआ था, लेकिन भाजपा सरकार ने उन्हें ही जेल भेज दिया था, और उन्हें जेल से बाहर आने में कई दिन लग गए। 


वहीं, दलित सांसद रामजी लाल सुमन पर जानलेवा हमले के आरोपी महज 24 घंटे के अंदर बाहर आ गए। यह दोहरे मापदंड को दर्शाता है, और भाजपा की न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।” इसके बाद उन्होंने गोरखपुर में सपा के राष्ट्रीय सचिव विनय शंकर तिवारी के आवास (हाता) के संदर्भ में कहा कि एक तरफ़ 'हाता नहीं भाता' का फ़ार्मूला लागू हो रहा था, तो दूसरी तरफ़ 'सत्ता सजातीय को सब माफ़' का फ़ार्मूला काम कर रहा था। अखिलेश यादव ने यह भी आशंका जताई कि रामजी लाल सुमन के मामले में निलंबित पुलिस अधिकारी को सरकार कहीं पीछे से बहाल करके उसे पदोन्नति दे सकती है, जिससे उन्हें पुरस्कार स्वरूप बड़ा पद मिल सकता है। यह सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश में हो रहे अन्याय की ओर इशारा करता है, जिससे स्पष्ट होता है कि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति संतोषजनक नहीं है। 

 इससे पहले, 12 अप्रैल को वाराणसी में सपा कार्यकर्ता हरीश मिश्रा ने आरोप लगाया था कि करणी सेना के सदस्यों ने उनके घर के बाहर हमला किया था। हरीश मिश्रा के मुताबिक, जब वह अपने घर के बाहर खड़े थे, तभी कुछ लोगों ने उन पर चाकू से हमला किया। हालांकि, दोनों पक्षों की तहरीर पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी थी, लेकिन पुलिस का कहना था कि इस मामले में करणी सेना से किसी का संबंध नहीं था। हरीश मिश्रा ने शोर मचाया, जिसके बाद स्थानीय लोग वहां पहुंचे और हमलावरों को पकड़ लिया। बाद में दोनों आरोपियों को पकड़ कर उनकी पिटाई की गई। इसी दौरान, समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन के काफिले पर अलीगढ़ और दिल्ली के बीच गभाना टोल बूथ पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हमला किया था। पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया और दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। 

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में कृष्ण ठाकुर, सुमित ठाकुर, सुधीर ठाकुर, सचिन सिंह और भूपेंद्र शामिल हैं। अखिलेश यादव ने आरोपियों की त्वरित रिहाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार अपने सजातीय कार्यकर्ताओं को किसी भी कीमत पर बचाने की कोशिश करती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उत्तर प्रदेश में एक 'द्वैध न्याय व्यवस्था' का खेल चल रहा है, जहां एक वर्ग के लोगों को कानून के हिसाब से दंडित किया जाता है, जबकि दूसरे वर्ग को सिर्फ राजनीतिक संरक्षण दिया जाता है। अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में साफ शब्दों में यह संकेत दिया कि राज्य सरकार के दोहरे मापदंड पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए खतरे की घंटी हैं, जो भाजपा के पक्षपाती रवैये को उजागर करते हैं। इस प्रकार, यह मामला केवल एक व्यक्तिगत हमले का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में जारी राजनीतिक असमानताओं और न्याय व्यवस्था के प्रति बढ़ती असंतोष की भी ओर इशारा करता है।