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अपराधियों का पुलिसिया गठजोड़! क्या इसी के दम पर यूपी में रामराज्य लाने की बात कर रहे योगी आदित्यनाथ? 

 17 Oct 2020

15 अक्टूबर को यूपी के बलिया जिले के दुर्जनपुर गांव में जिला प्रशासन की मौजूदगी में सरकारी कोटे की दुकान के आवंटन के लिए बैठक हो रही थी। तभी विवाद बढ़ा और धीरेंद्र सिंह नाम के व्यक्ति ने जय प्रकाश पाल को पुलिस के आला अफसरों के सामने गोली मार दी। ग्रामीणों ने लाठी डंडे लेकर हत्यारे को दौड़ा लिया। तभी पुलिस ने धीरेंद्र को घेर लिया और ग्रामीण पीछे हट गए। लगा कि पुलिस ने हत्यारे को रंगेहाथ पकड़ लिया। लेकिन शाम को पुलिस ने बताया कि धीरेंद्र फरार है। उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। ये रामराज्य की पुलिस का हाल है। 

 

बलिया की इस घटना के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद नारायण मुल्ला की वो बात याद आ गयी जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश की पुलिस भारत का सबसे बड़ा संगठित अपराधिक गिरोह है। यूपी पुलिस की कार्यशैली पर लगातार उंगली उठ रही है। वो चाहे हाथरस में रेप पीड़ित लड़की की देर रात लाश जलाने की बात हो या सरकार की नीतियों की खिलाफत करने वालों पर बेवजह केस दर्ज करने का मामला हो। लौटते हैं फिर से बलिया वाले केस पर। 

 

मृतक जय प्रकाश पाल के बेटे ने कहा, सीओ, इंस्पेक्टर और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पिताजी को दबंगो ने गोली मारकर हत्या की. पुलिस ने आरोपी को पकड़ने की कोशिश नहीं की बल्कि उसे सरंक्षण देकर भगाने में मदद की। हत्याकांड के कुछ देर बाद तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर मुख्य आरोपी धीरेंद्र सिंह की बलिया के बैरिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के साथ एक फोटो शेयर की। इस फोटो में विधायक आरोपी को मिठाई खिला रहे हैं। लोगों के मुताबिक जब अपराधियों पर नेताओं का हाथ होगा तो पुलिस कैसे उन्हें पकड़ेगी। 

 

यही बात कांग्रेस ने भी दोहराई है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, यूपी में भाजपाईयों को गुंडागर्दी का लाइसेंस मिल गया है। उन्होंने सीएम योगी पर निशाना साधते हुए कहा, जब शासक अपराधी हो, कानून गुंडो की दासी हो तो संविधान को रौंदना राजधर्म बन जाता है। सपा ने पुलिस व भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा है कि बलिया में कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाया गया। पुलिस के सामने से गोली मारकर भाजपा नेता फरार हो गया है। 

 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पुलिस को खुला छूट देने की बात करते हैं। उनकी खुली छूट का ही नतीजा है कि हाथरस में रेप पीड़ित लड़की का शव रात को बिना घरवालों की रजामंदी के जला दिया जाता है। आरोपियों की गाड़ियां पलटा दी जाती है। घर पर मांस के टुकड़े पाए जाने पर गैंगस्टर एक्ट के अलावा एनएसए लगा दिया जाता है। एनकाउंकर के नाम पर किसी को भी गोली मार दी जाती है। सीएम योगी एनकाउंटर नीति को सही ठहराते हैं, अपराध पर लगाम लगने की बात कहते हैं लेकिन आंकड़े तो उन्हें ही झूठा साबित करते हैं। 

 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने उत्तर प्रदेश में साल 2019 में हुए अपराधों का आंकड़ा जारी किया है। राज्य में महिलाओं के विरुद्ध सर्वाधिक 59,853 मामले दर्ज किए गए हैं। आप हर दिन का हिसाब लगाएंगे तो पता चलेगा कि करीब 163 मामले हर दिन दर्ज किए गए। नाबालिग बच्चियों के साथ जमकर हैवानित हुई, 7,444 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए। एससी-एसटी जाति के लोगो पर अत्याचार लगातार जारी है, 2019 में सर्वाधिक 11,829 मामले यूपी में आए। जानकर शर्म आएगी कि दलितों के खिलाफ पूरे देश में घटने वाले अपराधों में 25 फीसदी सिर्फ यूपी में होते हैं। 

 

विपक्ष योगी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाता है, इसका तो पता नहीं लेकिन पुलिस जरूर तानाशाही पर उतर आई है। आपको याद होगा इसी साल के जून में पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने कोरोना टेस्टिंग को लेकर सवाल उठाया तो उनके खिलाफ महामारी एक्ट और जनता में डर फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर दिया गया। मिर्जापुर में मिड-डे मील के तहत नमक-रोटी दिए जाने की खबर दिखाने वाले पत्रकार पर आपराधिक साजिश रचने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई। आजमगढ़ में दलित परिवार को पानी नहीं भरने दे रहे थे इसलिए वह परिवार पलायन कर रहा था, इस खबर को दिखाने वाले कई पत्रकारों पर पुलिस की छवि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए विभिन्न संगीन धाराओं में केस दर्ज किया गया। 

 

रासुका का कैसे इस्तेमाल किया गया ये तो आपको पता ही है। पिछले महीने तो यूपी पुलिस को और अधिकार दे दिया गया, अब विशेष सुरक्षा बल अधिनियम के तहत उनके पास बहुत सारी शक्तियां होगी, बिना सरकार या मजिस्ट्रेट की इजाजत के अभियुक्त को गिरफ्तार करने, तलाशी लेने का अधिकार मिल गया। सीएम योगी इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बनाते हैं। कहते हैं इससे प्रदेश की कानून व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी। लेकिन पिछले 3 साल में कानून व्यवस्था कितनी दुरुस्त हुई ये सबको साफ दिखाई दे रहा है। पुलिस पहले से अधिक संवेदनहीन व ढीठ लगने लगी है। अब तो उसे ट्रिगर दबाने से पहले सोचना भी नहीं पड़ता। खुलेआम सबूतों को नष्ट करने में भी वह नहीं हिचकती। मीडिया को भी डरा सकती है। ऐसा लगता है कि पुलिस के बल पर ही रामराज्य की स्थापना की कल्पना की गई है। 

 

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