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ट्रंप का ‘शावर प्रेम’: पानी के दबाव पर लगी लिमिट हटाई, कहा- बालों का ख्याल रखना है

 25 Aug 2025

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में वापसी के बाद से रोजाना कोई न कोई बड़ा और चर्चित फैसला लेने की परंपरा सी बना ली है। कभी वे आयात शुल्क (टैरिफ) में भारी बढ़ोतरी कर वैश्विक बाजारों को झटका देते हैं, तो कभी हज़ारों कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में डालने वाले आदेश जारी करते हैं। अब इस कड़ी में उनका एक और अजीबोगरीब फैसला सामने आया है — उन्होंने अमेरिका में घरेलू उपकरणों, विशेषकर शावरहेड्स में पानी के प्रेशर पर लगी सीमा को हटाने का आदेश दिया है।

शावर में 'कम प्रेशर' से नाराज़ ट्रंप


अपने इस फैसले के पीछे ट्रंप ने जो तर्क दिया, वह भी चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा, “मेरे केस में, मुझे अच्छा शावर चाहिए। मुझे अपने सुंदर बालों का ध्यान रखना है। पहले मुझे 15 मिनट तक शावर के नीचे खड़ा रहना पड़ता था — यह बिल्कुल ही वाहियात अनुभव था।” ट्रंप की इस टिप्पणी से सोशल मीडिया पर काफी हलचल मची है। कुछ लोग इसे हास्य की नजर से देख रहे हैं, तो कुछ इसे पर्यावरणीय नीतियों के खिलाफ उठाया गया खतरनाक कदम मान रहे हैं।

दरअसल, अमेरिका में 1992 में एनर्जी पॉलिसी एक्ट (Energy Policy Act) लागू किया गया था। इसके तहत शावरहेड्स में पानी के प्रवाह (Water Flow) को 2.5 गैलन प्रति मिनट (GPM) तक सीमित कर दिया गया था। इसका उद्देश्य था जल संरक्षण और ऊर्जा की बचत। इस नीति के चलते अमेरिका में लाखों गैलन पानी हर साल बचाया जा रहा था, साथ ही वॉटर हीटर के उपयोग में भी कमी आई थी, जिससे बिजली और गैस की खपत घटती थी।

राष्ट्रपति ट्रंप शुरू से ही इस नियम के खिलाफ मुखर रहे हैं। अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने बार-बार इसे मुद्दा बनाया। उनका कहना रहा कि कम पानी के दबाव (low pressure) के कारण अमेरिकी नागरिकों को दैनिक नहाने जैसे सामान्य कामों में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उनके अनुसार, “लोगों को 10 बार शावर लेना पड़ता है, ताकि वे साफ महसूस कर सकें।” इसी सोच को आधार बनाते हुए अब उन्होंने इतने वर्षों पुराने जल संरक्षण नियम को पलट दिया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह फैसला न केवल अमेरिका में जल संरक्षण प्रयासों को पीछे धकेल सकता है, बल्कि इससे जल और ऊर्जा की बर्बादी भी बढ़ेगी। शावर, वॉशिंग मशीन, और अन्य घरेलू उपकरणों में जल प्रवाह को सीमित करने वाली नीतियां वर्षों की रिसर्च और पर्यावरणीय चिंताओं पर आधारित थीं। उन्हें हटाने का अर्थ है— पर्यावरणीय संकट को और तेज करना। शावरहेड विवाद के साथ-साथ ट्रंप प्रशासन के टैरिफ निर्णय भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को झकझोर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने चीन पर 125% का टैरिफ लगा दिया, जिससे अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध और भी तीव्र हो गया है। भारत समेत 75 देशों को हालांकि 90 दिनों की अस्थायी राहत दी गई है, लेकिन यह साफ है कि ट्रंप की नीतियां वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और तनाव बढ़ा रही हैं।

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