अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। चीन ने बुधवार को बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका से आयात होने वाले सामान पर 84% तक टैक्स लगाने की घोषणा की है, जो पहले 34% था। यह नया टैक्स 10 अप्रैल से लागू होगा।
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका ने एक दिन पहले, 9 अप्रैल से चीन से आने वाले कई उत्पादों पर 104% तक की आयात शुल्क दर लागू कर दी है। इस कदम को चीन ने अमेरिका की "आक्रामक व्यापार नीति" के खिलाफ करारा जवाब बताया है।
ट्रंप प्रशासन द्वारा पिछले सप्ताह घोषित नई टैरिफ नीति के तहत अमेरिका ने न सिर्फ चीन, बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी आगाह किया था कि जवाबी कार्रवाई की स्थिति में और कठोर कदम उठाए जाएंगे। जहां जापान जैसे देश बातचीत के लिए तैयार दिखे हैं, वहीं चीन ने सख्त रुख अपनाते हुए अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है।
यह टैरिफ वॉर केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं है, इसका प्रभाव वैश्विक व्यापार पर भी साफ नजर आने लगा है। आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में अमेरिका ने चीन को 143.5 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि चीन से 438.9 अरब डॉलर का आयात किया गया। ऐसे में यदि यह युद्ध और गहराता है, तो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार पूरी तरह ठप पड़ सकता है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और निवेश बाजारों पर गंभीर असर पड़ेगा।
शेयर बाजारों में हड़कंप
टैरिफ वॉर के चलते दुनियाभर के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है- अमेरिका का S&P 500 इंडेक्स अपने शिखर से 20% नीचे आ गया है, जो इसे तकनीकी रूप से Bear Market की स्थिति में डालता है।
दक्षिण कोरिया का Kospi Index भी गिरावट के बाद मंदी के क्षेत्र में पहुंच चुका है।
शंघाई और हांगकांग के शेयर बाजार भी 2 अप्रैल से अब तक लगातार गिर रहे हैं। अमेरिका और चीन के बीच यह आर्थिक टकराव सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है। इससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ रही है, आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो रही है और निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
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