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‘लोकतंत्र पर आँच आई तो’.....PM ओली की पूर्व राजा को चेतावनी, राजशाही को लेकर हुआ था उग्र प्रदर्शन

 28 Aug 2025

नेपाल में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को कड़ी चेतावनी दी है। ओली ने कहा कि पिछले सप्ताह काठमांडू में हुए हिंसक प्रो-मोनार्की प्रदर्शनों में शामिल सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, और जो इस हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने सोमवार को प्रतिनिधि सभा में कहा कि पूर्व राजा शाह पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लिए लोकतंत्र दिवस (19 फरवरी) पर एक वीडियो संदेश जारी किया था, जो इस हिंसा की जड़ में था। ओली ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और सरकार इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करेगी। प्रधानमंत्री ओली का यह बयान खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 28 मार्च को काठमांडू में हुए हिंसक प्रदर्शनों में तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट की घटनाएं हुईं। 


प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस, वाटर कैनन और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया। इस हिंसा में एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार की मौत हो गई, और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। कई सरकारी और निजी वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, और कांतिपुर टेलीविजन, अन्नपूर्ण पोस्ट, और भटभटेनी सुपरमार्केट के कार्यालयों में भी तोड़फोड़ की गई। पुलिस ने अब तक 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें आरपीपी (राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी) के शीर्ष नेता भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री ओली ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व राजा शाह ने प्रदर्शन से एक दिन पहले नर्मल निवास में प्रदर्शनकारियों के नेताओं से मुलाकात की थी, और उनके इस कदम ने उनके खिलाफ संदेह को और बढ़ा दिया है। ओली ने कहा कि जिन लोगों ने इस हिंसा में भाग लिया है, उन्हें किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी, चाहे वह पूर्व राजा ही क्यों न हों। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार इस मामले में कोई समझौता करने के पक्ष में नहीं है और सख्त प्रशासनिक कदम उठाने का मन बना चुकी है।

वहीं, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने सरकार के इस रुख की कड़ी आलोचना की है और प्रदर्शनों का समर्थन किया है। पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगदेन ने कहा कि जनता अब अपने "संरक्षक" यानी राजा को वापस चाहती है, और उन्होंने नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की। आरपीपी ने आगामी 8 अप्रैल को काठमांडू में एक बड़े प्रदर्शन की योजना बनाई है, जिसमें वे संवैधानिक राजतंत्र की बहाली, हिंदू राष्ट्र की वापसी और संघीय व्यवस्था को समाप्त करने की मांग करेंगे। हालांकि, पार्टी ने यह भी कहा कि वे हिंसा की निंदा करते हैं, लेकिन गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों की तत्काल रिहाई की मांग भी की है। नेपाल में यह विवाद देश के भविष्य के बारे में गहरे विभाजन को उजागर करता है। जहां एक ओर प्रधानमंत्री ओली और उनकी सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आरपीपी और अन्य प्रो-मोनार्की समूह पुरानी राजशाही और हिंदू राष्ट्र की वापसी की मांग कर रहे हैं। यह राजनीतिक संकट नेपाल में आने वाले समय में और बढ़ सकता है, और काठमांडू की स्थिति पर सभी की निगाहें बनी हुई हैं।

नेपाल के राजनीतिक इतिहास को देखें तो 2008 में राजशाही को समाप्त कर दिया गया था और नेपाल को एक गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया था। यह निर्णय माओवादी विद्रोह को समाप्त करने के लिए एक समझौते का हिस्सा था, जिसमें 1996 से 2006 तक लगभग 17,000 लोग मारे गए थे। तब से लेकर अब तक, नेपाल में 14 सरकारें बदल चुकी हैं, जिससे राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है और आर्थिक विकास में भी बाधाएं आई हैं। अब बढ़ती जनता नाराजगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्सा प्रो-मोनार्की भावनाओं को हवा दे रहा है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। इस समय नेपाल में सुरक्षा की स्थिति भी बहुत गंभीर है। सरकार ने कुछ इलाकों में कर्फ्यू लगाया था, जिसे अब हटा लिया गया है, लेकिन सुरक्षा बलों की तैनाती अब भी बढ़ा दी गई है। सरकार की योजना यह भी है कि पूर्व राजा के पासपोर्ट को रद्द किया जाए, क्योंकि उन्हें संदेह है कि शाह प्रो-मोनार्की आंदोलन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके साथ ही, दुर्गा प्रसाई, जो इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, पुलिस से बचने के लिए फरार हो गए हैं, और उनके मोबाइल फोन तक बंद हैं। आने वाले दिनों में काठमांडू और नेपाल के अन्य हिस्सों में होने वाले प्रदर्शन और विरोध प्रदर्शनों के बाद स्थिति और जटिल हो सकती है। यह देखा जाएगा कि सरकार और विपक्ष के बीच किस प्रकार की बातचीत और समझौते होते हैं, और क्या नेपाल की राजनीतिक दिशा स्पष्ट होती है या नहीं।