Article

खनिजों से लेकर तेल-गैस तक, यूक्रेन के संसाधनों पर ट्रंप की बढ़ती दावेदारी

 02 Sep 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूक्रेन से दुर्लभ खनिजों और महत्वपूर्ण संसाधनों को लेकर एक नए समझौते की मांग की है, जिससे यूक्रेन को बड़ा झटका लग सकता है। कुछ समय पहले, जब अमेरिका की वित्तीय मदद के दबाव में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक खनिज समझौते को मंजूरी दी थी, तब इसकी शर्तें अपेक्षाकृत संतुलित थीं। लेकिन अब ट्रंप ने यूक्रेन के सभी प्राकृतिक संसाधनों—तेल, गैस, खनिज और ऊर्जा संसाधनों—पर लगभग पूर्ण नियंत्रण की मांग रख दी है, जबकि इसके बदले में सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं दी जा रही।


यूक्रेन पर ट्रंप का बढ़ता दबाव


फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन अब केवल महत्वपूर्ण खनिजों तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि यूक्रेन के तेल, गैस और अन्य ऊर्जा संसाधनों पर भी अधिकार चाहता है। जेलेंस्की ने इस नए प्रस्ताव की पुष्टि की है, लेकिन इसके ब्योरे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने केवल इतना कहा कि ट्रंप जल्द से जल्द इस समझौते पर हस्ताक्षर चाहते हैं। जेलेंस्की के अनुसार, यह प्रस्ताव पहले एक सीमित फ्रेमवर्क समझौते के रूप में था, जिसे बाद में विस्तारित किया गया। अब अमेरिका ने इसे एक व्यापक समझौते में तब्दील करने का दबाव डाला है, जिसके तहत यूक्रेन को अपने सभी सरकारी और निजी संसाधनों से होने वाले लाभ का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका के साथ साझा करना होगा।

व्हाइट हाउस में समझौता रद्द, जेलेंस्की को बाहर निकाला गया


यह समझौता 28 फरवरी को व्हाइट हाउस में हस्ताक्षरित होने वाला था, लेकिन ऐन मौके पर यह रद्द हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक के दौरान जेलेंस्की और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के बीच तीखी बहस हो गई, जिसके चलते जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर निकाल दिया गया। यह अप्रत्याशित घटना अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में बढ़ती खटास को दर्शाती है। इतना ही नहीं, ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों पर भी नियंत्रण की इच्छा जाहिर की है। हालांकि, जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र किसी भी समझौते का हिस्सा नहीं होंगे।

ट्रंप द्वारा प्रस्तावित नए समझौते की शर्तें बेहद कड़ी हैं। पहले के समझौते में केवल भविष्य की परियोजनाओं से होने वाले लाभ को साझा करने की बात थी, लेकिन अब अमेरिका चाहता है कि यूक्रेन अपनी मौजूदा सरकारी और निजी परियोजनाओं से होने वाली आमदनी को भी साझा करे। इसके लिए एक संयुक्त निवेश कोष बनाने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें पांच सदस्यीय बोर्ड होगा, जिसमें अमेरिका को तीन सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार मिलेगा। इसका सीधा मतलब यह होगा कि अमेरिका कोष के कामकाज पर नियंत्रण और वीटो पावर हासिल कर लेगा। खनिज, तेल और गैस के अलावा, इस समझौते में इनके खनन के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे सड़क, रेलवे, पाइपलाइन, बंदरगाह और रिफाइनरियां भी शामिल की जाएंगी। अमेरिका को इस कोष से 4 प्रतिशत प्रीमियम पर रॉयल्टी मिलेगी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर प्राथमिकता के अधिकार भी बरकरार रहेंगे।