छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में सुरक्षाबलों को एक और बड़ी सफलता मिली है। बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर मंगलवार को चलाए गए एक प्रभावी नक्सल विरोधी अभियान में सुरक्षा बलों ने कम से कम तीन माओवादियों को मार गिराया। इस कार्रवाई के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि सुरक्षा बलों को इलाके में माओवादियों की सक्रिय मौजूदगी की पुख्ता सूचना मिली थी। इसके बाद एक रणनीतिक योजना के तहत सुरक्षाबलों की एक बड़ी टुकड़ी को अभियान के लिए रवाना किया गया। अधिकारी के अनुसार, "सुबह 8 बजे से जारी इस ऑपरेशन के दौरान माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच भीषण गोलीबारी हुई।"
तीन माओवादी ढेर, सर्च ऑपरेशन जारी
मुठभेड़ स्थल से सुरक्षा बलों ने तीन माओवादियों के शव बरामद किए, जिनके पास से उन्नत श्रेणी के हथियार और भारी मात्रा में गोला-बारूद भी जब्त किया गया। हालांकि, अभी भी पूरे क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी है, क्योंकि इस बात की आशंका है कि और भी माओवादी आसपास के जंगलों में छिपे हो सकते हैं। इस ताजा कार्रवाई के साथ ही इस साल के पहले तीन महीनों में बस्तर क्षेत्र में मारे गए माओवादियों की संख्या 100 से अधिक हो गई है। विशेष रूप से, बीजापुर जिले में अब तक 83 माओवादी मारे जा चुके हैं, जो कि राज्य में नक्सल गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। बीजापुर का बड़ा हिस्सा अबूझमाड़ के सघन जंगलों में आता है, जिसे माओवादियों का मजबूत गढ़ माना जाता है।
पिछले सप्ताह भी हुई थी बड़ी कार्रवाई
गौरतलब है कि इससे पहले, बीजापुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर हुई एक और मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 26 माओवादियों को मार गिराया था। उस समय पुलिस ने जानकारी दी थी कि 2025 की शुरुआत से अब तक बस्तर क्षेत्र में कुल 97 माओवादी मारे जा चुके हैं।
इसके अलावा, छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर स्थित गरियाबंद जिले में भी 16 कथित माओवादी मारे गए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां नक्सलियों के खिलाफ अपने हमले तेज कर रही हैं।
राज्य सरकार ने हाल ही में माओवादियों के आत्मसमर्पण को बढ़ावा देने के लिए एक नई प्रोत्साहन योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य माओवादियों को हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करना है। सरकार का मानना है कि हथियार छोड़ने और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को पुनर्वास का उचित अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि वे समाज में सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।
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