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परिसीमन पर पारदर्शिता जरूरी, 25 साल की रोक लगे: स्टालिन की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित

 22 Mar 2025

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में आज चेन्नई में संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें ऐसे किसी भी परिसीमन प्रस्ताव का विरोध करने का निर्णय लिया गया, जिसमें पारदर्शिता का अभाव हो और प्रमुख हितधारकों की राय को शामिल नहीं किया गया हो। इस बैठक में कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जो आगामी परिसीमन प्रक्रिया के उनके राजनीतिक और आर्थिक भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं।

परिसीमन पर जेएसी का प्रस्ताव

जेएसी द्वारा पारित प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में कोई भी बदलाव निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया जाना चाहिए, जिसमें सभी राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित हो। समिति ने इस बात पर विशेष चिंता व्यक्त की कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण को सफलतापूर्वक लागू किया है, वे परिसीमन के कारण अनुचित रूप से दंडित किए जा सकते हैं, क्योंकि उनकी घटती जनसंख्या के चलते संसदीय प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। 1971 की जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की वर्तमान व्यवस्था को बनाए रखने की संवैधानिक मंशा का उल्लेख करते हुए जेएसी ने जोर दिया कि इसका उद्देश्य उन राज्यों की सुरक्षा और प्रोत्साहन करना था, जिन्होंने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए थे। चूंकि राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है, प्रस्ताव में इस व्यवस्था को आगामी 25 वर्षों तक बनाए रखने की मांग की गई। प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया, "जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया है और जिनकी जनसंख्या में गिरावट आई है, उन्हें परिसीमन प्रक्रिया के माध्यम से दंडित नहीं किया जाना चाहिए।"

बैठक में तय किया गया कि भाग लेने वाले राज्यों के सांसदों की एक कोर समिति संसद के भीतर रणनीतियों को समन्वित करेगी, ताकि किसी भी ऐसे परिसीमन प्रस्ताव का विरोध किया जा सके, जो इन सिद्धांतों के अनुरूप न हो। समिति ने घोषणा की कि मौजूदा संसद सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपा जाएगा। इसके अलावा, प्रतिनिधित्व करने वाले राज्यों के राजनीतिक दल अपनी-अपनी विधानसभाओं में परिसीमन के खिलाफ विधायी प्रस्ताव लाने के लिए दबाव बनाएंगे और आधिकारिक रूप से केंद्र सरकार के सामने अपना विरोध दर्ज कराएंगे। जनता को परिसीमन के इतिहास और इसके संभावित परिणामों से अवगत कराने के लिए एक व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना बनाई गई है। इस अभियान का उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया में संघवाद और निष्पक्षता की रक्षा करने के लिए जनमत तैयार करना है।

परिसीमन के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए दक्षिणी राज्यों और पंजाब के प्रमुख विपक्षी नेता चेन्नई में इस बैठक में शामिल हुए। इस महत्वपूर्ण बैठक में केरल, तेलंगाना और पंजाब के मुख्यमंत्री - पिनाराई विजयन, रेवंत रेड्डी और भगवंत मान के साथ-साथ कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी उपस्थित रहे। इसके अलावा, तेलंगाना के पूर्व आईटी मंत्री और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव, वाईएसआरसीपी, कांग्रेस, सीपीआई (एम), सीपीआई, बीजेडी और आम आदमी पार्टी (आप) सहित कई प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता भी इस बैठक में मौजूद थे।