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फरवरी में खुदरा महंगाई दर 3.61% पर, सात महीने में सबसे बड़ी गिरावट

 15 Sep 2025

सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आने से फरवरी 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.61 प्रतिशत पर आ गई, जो पिछले सात महीनों में सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में एक और कटौती करने की संभावना बढ़ गई है। इससे पहले, जनवरी 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर 4.26 प्रतिशत थी, जबकि फरवरी 2024 में यह 5.09 प्रतिशत पर थी। इस तरह, महंगाई दर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, जो आम उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है।


खाद्य मुद्रास्फीति में बड़ी गिरावट


राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 के लिए साल-दर-साल मुद्रास्फीति दर 3.75 प्रतिशत दर्ज की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी 2025 की तुलना में फरवरी 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति में 222 आधार अंकों (2.22 प्रतिशत) की तेज गिरावट आई है। यह गिरावट मई 2023 के बाद से सबसे अधिक है, जो दर्शाता है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।  NSO के अनुसार, फरवरी 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में आई इस गिरावट की मुख्य वजह सब्जियों, अंडों, मांस और मछली, दालों और उससे जुड़े उत्पादों के साथ-साथ दूध और उससे बने उत्पादों की कीमतों में आई नरमी है। विशेष रूप से, सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे समग्र खाद्य मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण कमी आई।

RBI के लिए ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं बढ़ीं


भारतीय रिजर्व बैंक, जिसे खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत (+/- 2 प्रतिशत) के दायरे में बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है, ने महंगाई पर नियंत्रण के लिए फरवरी 2025 में अल्पकालिक उधार दर (रेपो रेट) में 25 आधार अंकों की कटौती की थी। वर्तमान में खुदरा महंगाई दर के 4 प्रतिशत से नीचे आ जाने के बाद, यह संभावना जताई जा रही है कि RBI आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है। 

केंद्रीय बैंक 9 अप्रैल 2025 को अपनी अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। अगर महंगाई दर में गिरावट का यह रुझान जारी रहता है, तो RBI आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट में और कटौती कर सकता है, जिससे कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा और उपभोक्ताओं तथा उद्योगों को राहत मिलेगी। इस गिरावट से आम जनता को सीधा फायदा हो सकता है, क्योंकि इससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में और स्थिरता आने की संभावना है।

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