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"देशद्रोही तक कहा जा रहा, लेकिन मेरी मंशा सिर्फ शांति बनाए रखने की थी" – दरभंगा की मेयर अंजुम आरा

 15 Sep 2025

दरभंगा की मेयर अंजुम आरा के बयान को लेकर मचा राजनीतिक बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा द्वारा लगातार हो रहे हमलों के बाद अंजुम आरा बैकफुट पर आ गई हैं। उन्होंने अपने बयान पर खेद प्रकट करते हुए सफाई दी और कहा कि उनकी मंशा सिर्फ दरभंगा में शांति बनाए रखने की थी, न कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की। 


मीडिया से बातचीत के दौरान अंजुम आरा ने कहा, "मैं अपने बयान पर खेद व्यक्त करती हूं। सुबह से मुझ पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। कोई मुझे बांग्लादेशी कह रहा है, कोई देशद्रोही करार दे रहा है। मैं मीडिया के साथियों से यही कहना चाहूंगी कि आप जांच करवा लें। अगर मेरे खिलाफ कोई पुख्ता सबूत मिलता है, तो जो भी सख्त कार्रवाई बनती है, वह की जाए।" भाजपा द्वारा किए जा रहे हमलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह किसी पार्टी की सोच को नियंत्रित नहीं कर सकतीं। उन्होंने आगे कहा, "मेरी मंशा सिर्फ इतनी थी कि दरभंगा शहर में शांति बनी रहे। अगर मेरे बयान से किसी की आस्था को ठेस पहुंची है, तो मैं खेद व्यक्त करती हूं।"

क्या था पूरा मामला?


रिपोर्ट के अनुसार, दरभंगा में पीस कमेटी की एक बैठक में मेयर अंजुम आरा ने सुझाव दिया था कि होली के दिन शुक्रवार की जुमे की नमाज़ के लिए दो घंटे का ब्रेक दिया जाए। बाद में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "जुमे की नमाज़ का समय टाला नहीं जा सकता। इसलिए दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक दो घंटे का ब्रेक होना चाहिए। इस दौरान हिंदू समुदाय के लोगों को मस्जिदों के आस-पास जाने से बचना चाहिए। इससे दोनों धर्मों के लोग बिना किसी परेशानी के अपने-अपने त्योहार और धार्मिक परंपराएं निभा सकेंगे।" उन्होंने यह भी कहा, "हमें समझना होगा कि होली साल में एक बार आती है, लेकिन रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए बेहद पवित्र होता है।"

मेयर के इस बयान को लेकर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे हिंदू समुदाय की आस्था पर चोट करार दिया। पार्टी के नेताओं का कहना है कि त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों को इस तरह सीमित करने का कोई औचित्य नहीं है। भाजपा नेताओं ने अंजुम आरा पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया और उनके इस्तीफे की मांग की। हालांकि, अंजुम आरा ने अपने बयान पर सफाई देते हुए स्पष्ट किया कि उनकी मंशा केवल शहर में शांति बनाए रखने की थी और किसी समुदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने का उनका कोई इरादा नहीं था।

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