केंद्र सरकार ने अंग्रेजी समाचार पत्र द हिंदू को पुष्टि की है कि कानून और न्याय मंत्रालय ने हेग कन्वेंशन के तहत अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी को एक अमेरिकी मुकदमे में नोटिस देने के लिए आवश्यक कार्रवाई की थी। मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग (डीएलए) ने अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) से प्राप्त समन नोटिस अहमदाबाद की सत्र अदालत को भेजा, जिसमें श्री अडानी को उनके अहमदाबाद स्थित पते पर कानूनी दस्तावेजों की सेवा देने के निर्देश दिए गए थे।
सरकार द्वारा द हिंदू को दिए गए एक आंतरिक नोट में कहा गया, "सिविल और वाणिज्यिक मामलों में न्यायिक और गैर-न्यायिक दस्तावेजों की सेवा के लिए 1965 के हेग कन्वेंशन के तहत, अमेरिका से प्राप्त समन पर विचार किया जा रहा है। दस्तावेजों की जांच की गई है और उन्हें हेग कन्वेंशन के अनुरूप पाया गया है। यदि स्वीकृति मिलती है, तो दस्तावेजों को जिला एवं सत्र न्यायालय, अहमदाबाद, गुजरात भेजा जाएगा।" 25 फरवरी को सत्र न्यायालय को भेजे गए पत्र के अनुसार, हेग कन्वेंशन उन हस्ताक्षरकर्ता देशों को कानूनी सहायता प्रदान करता है, जो विदेशों में दायर मामलों के लिए आरोपियों को उनके निवास स्थान पर कानूनी नोटिस भेजने की अनुमति देता है।
न्यूयॉर्क में दर्ज मुकदमा और आरोप
न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले में संघीय अभियोजकों और एसईसी द्वारा दर्ज मुकदमे में गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने अडानी ग्रीन लिमिटेड के कार्यकारी अधिकारियों के रूप में अमेरिकी निवेशकों से "भारतीय सरकारी अधिकारियों को कथित रूप से सैकड़ों मिलियन डॉलर की रिश्वत छिपाने" का षड्यंत्र रचा, जिससे अडानी ग्रीन और सौर ऊर्जा कंपनी एज़्योर पावर को अनुचित लाभ हुआ। यह मुकदमा न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी जिला न्यायालय में विचाराधीन है।
डीएलए ने इस मामले से संबंधित सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन पर सीधे पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि उसे समन का अनुरोध प्राप्त हुआ था। 19 फरवरी को दाखिल RTI आवेदन का उत्तर 3 मार्च को दिया गया, लेकिन डीएलए ने यह कहा कि 21 फरवरी तक उसे ऐसा कोई अनुरोध नहीं मिला था।
इस मुकदमे के चलते अडानी समूह के लिए कानूनी और कारोबारी अनिश्चितता बढ़ गई है। हालांकि, कंपनी कथित तौर पर इस उम्मीद में है कि अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नया प्रशासन विदेशी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1977 (Foreign Corrupt Practices Act, 1977) के प्रवर्तन को रोक सकता है, जिससे श्री अडानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की संभावना कम हो सकती है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह ने अमेरिका में व्यापारिक अवसरों की तलाश दोबारा शुरू कर दी है।