होली का पर्व इस साल रमजान के पवित्र महीने के साथ ही आ रहा है और इस बार होली जुमे के दिन पड़ रही है। यह संयोग न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी चर्चा का विषय बन गया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले के सीओ अनुज चौधरी ने एक बयान में कहा था कि साल में 52 शुक्रवार होते हैं, जबकि होली एक साल में केवल एक बार आती है। उन्होंने कहा कि यदि किसी के पास होली खेलने की क्षमता नहीं है, तो उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और घर पर ही नमाज पढ़नी चाहिए। यह बयान विवाद का कारण बना था, क्योंकि कुछ लोग इसे धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता के तौर पर देख रहे थे।
अब बिहार में बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने भी इसी मुद्दे पर अपनी राय दी है। उनका कहना था कि जुमे की नमाज साल में 52 बार होती है, जबकि होली एक साल में सिर्फ एक बार आती है।
इस कारण उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे होली के दिन घर से बाहर न निकलें। उनका यह भी मानना था कि यदि मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े दिल वाले होंगे, तो वे घर से बाहर निकल सकते हैं, लेकिन यदि कोई हिंदू उन्हें रंग लगा दे, तो उन्हें बुरा नहीं मानना चाहिए क्योंकि इससे माहौल बिगड़ सकता है और इस पर गलत अर्थ निकाले जा सकते हैं।
इस बयान को लेकर बरेली में कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी अपनी अपील जारी की। उन्होंने मुस्लिम समाज से आग्रह किया कि वे होली के दिन दोपहर 2 बजे के बाद नमाज अदा करें और केवल तीन से चार घंटे के लिए ही सड़कों और गलियों में न जाएं। इसके अलावा, उन्होंने अन्य समुदाय से अपील की कि वे रोजा रख रहे मुसलमानों और हिजाब पहने महिलाओं पर रंग न डालें।
वहीं, बिहार के अल्पसंख्यक मंत्री जमा खान ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार में भाईचारा कायम है और किसी को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने मुसलमानों के दुकानों से सामान न खरीदने की बातों को निरर्थक बताया और कहा कि सभी समुदाय मिलकर त्योहार मनाएंगे और कोई भी ऐसी घटना नहीं होगी जिससे माहौल खराब हो।
राजद के विधायक फतेह बहादुर सिंह ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना था कि बीजेपी और आरएसएस के लोग हमेशा भारतीय सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं और वे कभी भी इस तरह की नफरत फैलाने वाली बातें नहीं सुनेंगे।
फतेह बहादुर सिंह ने यह भी कहा कि बीजेपी और आरएसएस का मकसद सिर्फ समाज में विद्वेष फैलाना और देश को बांटना है, लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि भारतीय जनता एकजुट है और ऐसे विवादों में नहीं फंसेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के बयान भारतीय लोकतंत्र की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं, और भारतीय समाज की एकता को कमजोर करते हैं।
इस तरह के बयान और घटनाएं समाज में सामूहिक ताने-बाने को कमजोर करती हैं और हमें एकजुटता और सौहार्द की दिशा में सोचना चाहिए। विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच एक दूसरे के प्रति समझ और सम्मान की भावना को बढ़ावा देना हमारे समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, ताकि हम सभी अपने त्योहारों को एक साथ, शांति और खुशी से मना सकें।
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