बिहार में आरक्षण को लेकर एक बार फिर सियासी हलचल मच गई है। रविवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने महागठबंधन सरकार के दौरान बढ़ाए गए 65 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने के लिए धरना प्रदर्शन आयोजित किया। यह धरना खासतौर पर उन लोगों के लिए था जो आरक्षण की बढ़ी हुई सीमा को लागू करना चाहते हैं, लेकिन इस प्रदर्शन के दौरान एक बड़ा सियासी विवाद खड़ा हो गया। धरने के पोस्टर में आरजेडी के प्रमुख नेताओं की तस्वीरें थीं, जिनमें लालू यादव, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और अब्दुल बारी जैसे प्रमुख नेताओं के चित्र शामिल थे, लेकिन तेज प्रताप यादव की तस्वीर और नाम इसमें नहीं थे। इस पर सियासी दलों के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई, खासकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने इस मुद्दे पर आरजेडी को घेरते हुए आरोप लगाए।
बीजेपी प्रवक्ता म रंजन पटेल ने कहा कि पोस्टर में परिवार के सभी सदस्य शामिल हैं, लेकिन तेज प्रताप यादव को जानबूझकर इसमें जगह नहीं दी गई। उनका कहना था कि तेजस्वी को अपने परिवार में बड़े भाई तेज प्रताप से ही खतरा है, और इस कारण वह आरक्षण का मुद्दा उठा रहे हैं। पटेल ने यह भी कहा कि बिहार की जनता तेजस्वी के बहकावे में नहीं आएगी, क्योंकि उनका असली उद्देश्य सिर्फ अपने परिवार के लिए आरक्षण की मांग करना है, न कि समाज के अन्य वर्गों के लिए।
इसके जवाब में आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी के पोस्टरों से आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तस्वीरें गायब रहती हैं। शक्ति यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी को इस धरने से डर लग रहा है, इसलिए वह इस तरह के मुद्दे उठा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार सरकार ने पिछड़े, अतिपिछड़े, दलितों और आदिवासियों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण लिया था, जिसे केंद्र सरकार ने चुराया है। उन्होंने मांग की कि बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण फिर से लागू किया जाए ताकि समाज के वंचित वर्गों को उनका हक मिल सके।
इसके अलावा, आरजेडी के धरने में पार्टी के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हुए और उन्होंने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि अगर आज आरक्षण लागू किया गया होता, तो 51 हजार सरकारी पदों में से 8,222 पदों पर सिर्फ पिछड़े और अतिपिछड़े लोगों को रोजगार मिल चुका होता। उन्होंने सवाल किया कि अगर यह आरक्षण इतनी अहम है, तो इसे अब तक तमिलनाडु के तर्ज पर नौवीं अनुसूची में क्यों नहीं डाला गया। तेजस्वी ने यह भी कहा कि वह आरक्षण की लड़ाई को अपने पूरे साहस और ताकत के साथ लड़ेंगे और इसे अंतिम मंजिल तक पहुंचाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे इस मुद्दे को हर गांव, शहर और कस्बे में उठाएं, ताकि समाज के हर तबके को आरक्षण का सही लाभ मिल सके।
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि आरजेडी ने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों की आवाज़ उठाई है, और पार्टी इस मुद्दे को कभी भी नजरअंदाज नहीं करेगी। उन्होंने यह भी साफ किया कि इस धरने का उद्देश्य सिर्फ आरक्षण के मुद्दे को सुलझाना है, ताकि राज्य में हर तबके को समान अवसर मिल सके और हर वर्ग को सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी मिल सके।
कुल मिलाकर, यह धरना सिर्फ आरक्षण के मुद्दे को लेकर नहीं था, बल्कि यह एक सियासी लड़ाई का हिस्सा बन चुका है, जिसमें बीजेपी और आरजेडी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार जारी है। बिहार के राजनीतिक माहौल में यह मुद्दा और भी गरम हो गया है, और इसके आगे आने वाले दिनों में और भी सियासी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।
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