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भारी कर्ज के बोझ तले दबी जम्मू-कश्मीर सरकार, उमर अब्दुल्ला ने पेश किए आंकड़े

 18 Sep 2025

जम्मू-कश्मीर सरकार ने शनिवार को खुलासा किया कि केंद्र शासित प्रदेश पर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भारी कर्ज है। इसमें पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान सामान्य भविष्य निधि (GPF) के तहत 27,900 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में विधायक सज्जाद गनी लोन के लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी।


उमर अब्दुल्ला ने बताया कि 31 मार्च 2024 तक जम्मू-कश्मीर पर कुल कर्ज 1,25,205 करोड़ रुपये है। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और राज्य विकास से 69,894 करोड़ रुपये का ऋण, GPF में 27,901 करोड़ रुपये, रिजर्व में 14,294 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय लघु बचत निधि में 5,758 करोड़ रुपये, समझौता ऋण में 4,032 करोड़ रुपये, उदय बिजली ऋण में 2,616 करोड़ रुपये और भारत सरकार के अग्रिम के रूप में 710 करोड़ रुपये शामिल हैं। इसके अलावा, 27 फरवरी 2025 तक विभिन्न खाता शीर्षों के तहत ट्रेजरी में कुल बकाया देयता 5,429.49 करोड़ रुपये है।

कर्ज राज्य के GSDP का 52 प्रतिशत


गुरुवार को विधानसभा में पेश की गई आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट (ESR) 2024-25 के अनुसार, जम्मू-कश्मीर का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) 2,38,677 करोड़ रुपये है। राज्य पर 1,25,205 करोड़ रुपये का बकाया कर्ज GSDP का 52 प्रतिशत है। आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 83,010 करोड़ रुपये का सार्वजनिक ऋण वित्त वर्ष 2023-24 के कुल बजटीय बकाया ऋण का 66 प्रतिशत है, जिसमें 82,300 करोड़ रुपये का आंतरिक ऋण और 710 करोड़ रुपये का केंद्र सरकार से अग्रिम शामिल है। 

वहीं, भविष्य निधि (GPF) का हिस्सा कुल बजटीय ऋण का 21 प्रतिशत है। राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर यह खुलासा ऐसे समय पर हुआ है, जब सरकार के सामने वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की चुनौती बनी हुई है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस आर्थिक दबाव को कम करने के लिए क्या रणनीति अपनाती है।

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