मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से जारी हिंसा अब भी शांत होने का नाम नहीं ले रही है। हर बार स्थिति सामान्य होने की उम्मीद जताई जाती है, लेकिन हर बार कोई नया विवाद उभर आता है और स्थिति फिर से तनावपूर्ण हो जाती है। ताजा मामला तब सुर्खियों में आया जब सुरक्षा बलों की निगरानी में सिविलियन बसों ने जिलों के बीच सफर करना शुरू किया। इस कदम को कूकी समुदाय ने कड़ा विरोध किया और सड़कों पर जाम लगा दिया, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर में आज सुरक्षा बलों की निगरानी में यात्री बसों का संचालन फिर से शुरू किया गया, लेकिन कूकी समुदाय के विरोध के कारण स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई।
कांगपोकपी जिले में सुरक्षा बलों को बैरिकेड्स हटाने के लिए माइन-रेसिस्टेंट गाड़ियों का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान पुलिस के लाठीचार्ज में कई कूकी महिलाएं घायल हो गईं, जो प्रदर्शन में शामिल थीं।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बावजूद मणिपुर में कई स्थानों पर हिंसा की खबरें आई हैं। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया था कि अब मणिपुर की किसी भी सड़क पर ब्लॉक नहीं रहने दिया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद कूकी-बहुल इलाकों में हिंसा और विरोध प्रदर्शन जारी हैं। सोशल मीडिया पर कई वीडियो साझा किए गए, जिनमें प्रदर्शनकारियों को पत्थरबाजी करते, सड़कों को खोदते, टायर जलाते और बैरिकेड्स लगाते हुए देखा गया।
मणिपुर में मेइती और कूकी समुदायों के बीच संघर्ष मई 2023 से लगातार जारी है, जिसमें अब तक 250 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 50,000 लोग अपने घरों से बेघर हो चुके हैं। कूकी नेता और उनके समर्थक संगठन यह मांग कर रहे हैं कि जब तक उन्हें अलग प्रशासन का अधिकार नहीं मिलता, तब तक वे स्वतंत्र रूप से आवागमन की अनुमति नहीं देंगे और इस पर कोई समझौता नहीं होगा।
वहीं, दूसरी ओर, मेइती संगठनों ने सवाल उठाया है कि अगर बातचीत जारी रह सकती है, तो हजारों विस्थापितों को राहत शिविरों से अपने घरों में लौटने से क्यों रोका जा रहा है?
कूकी नेताओं का कहना है कि मई 2023 में भड़की हिंसा के बाद उनकी मांगें पहले से अधिक सख्त हो गई हैं, और अब वे एक स्वायत्त परिषद की जगह एक अलग प्रशासन या केंद्र शासित प्रदेश की मांग कर रहे हैं। मेइती नेताओं का कहना है कि कूकी समुदाय की यह मांग 'कुकीलैंड' बनाने की पुरानी योजना का हिस्सा है, जिसका इतिहास काफी लंबा और विवादित है।
इसी बीच, वर्ल्ड कूकी-जो इंटेलेक्चुअल काउंसिल ने मणिपुर के नए राज्यपाल को 15 जनवरी को एक ज्ञापन सौंपते हुए यह दावा किया कि कूकी समुदाय 1946-47 से ही अलग राज्य की मांग कर रहा है। यह मुद्दा पिछले कुछ वर्षों से कूकी समुदाय के विरोध प्रदर्शनों और चर्चाओं में उठाया जाता रहा है और इसके समाधान की दिशा में कोई स्पष्ट पहल नहीं की गई है। कूकी समुदाय का कहना है कि उनकी पहचान और सांस्कृतिक विविधता को बचाने के लिए एक अलग प्रशासन की जरूरत है, और इसके बिना हिंसा और संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी।
मणिपुर की इस जटिल स्थिति को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जल्द से जल्द इस मुद्दे का हल निकाला जाना जरूरी है, ताकि राज्य में शांति बहाल हो सके और आम लोग अपने घरों में सुरक्षित महसूस कर सकें। फिलहाल, मणिपुर में स्थिति बेहद नाजुक है और किसी भी छोटे से कदम से हिंसा और तनाव की स्थिति और बढ़ सकती है।
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