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अगर आपके पास हैं दो वोटर आईडी, तो तुरंत करें ये काम, चुनाव आयोग ने जारी किया सख्त निर्देश

 18 Sep 2025

चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने और उसमें सुधार के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। दशकों से चली आ रही डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र की समस्या को खत्म करने के लिए आयोग ने तीन महीने की समय सीमा तय की है, जिसके भीतर इस समस्या का समाधान किया जाएगा। चुनाव आयोग का कहना है कि हर मतदाता के पास केवल एक ही वैध मतदाता पहचान पत्र होना चाहिए और किसी भी तरह की डुप्लिकेसी को सख्ती से समाप्त किया जाएगा।

दरअसल, यह कदम तब उठाया गया जब चुनाव आयोग को पता चला कि मतदाता पहचान पत्र के आवंटन की प्रक्रिया में गड़बड़ियों के चलते कई मतदाताओं को डुप्लिकेट मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर जारी किए गए थे। यह समस्या साल 2000 से चली आ रही है, जब देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में EPIC नंबर जारी करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। लेकिन, आवंटन प्रणाली में सही प्रक्रिया का पालन न होने के कारण कई मतदाताओं को एक ही पहचान पत्र के दो अलग-अलग नंबर जारी कर दिए गए, जिससे मतदाता सूची में गड़बड़ियां बढ़ गईं।

चुनाव आयोग ने इस गंभीर समस्या को समाप्त करने के लिए तीन महीने के भीतर सभी डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्रों को हटाने और मतदाताओं को एक वैध और सटीक पहचान पत्र उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। आयोग के अनुसार, जिन मतदाताओं के पास पहले से ही डुप्लिकेट EPIC नंबर हैं, उन्हें नए और यूनिक राष्ट्रीय EPIC नंबर जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही, भविष्य में इस तरह की समस्या को रोकने के लिए नए मतदाताओं को अलग-अलग और अद्वितीय EPIC नंबर आवंटित किए जाएंगे। चुनाव आयोग ने यह भी साफ किया है कि यह पूरी प्रक्रिया तीन महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी, ताकि मतदाता सूची को त्रुटिरहित और पारदर्शी बनाया जा सके।

आयोग के अनुसार, यह फैसला मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए लिया गया है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि देश का हर मतदाता सिर्फ एक ही वैध मतदाता पहचान पत्र का उपयोग करे और चुनावी प्रक्रिया में किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाए। भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में, जहां 99 करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड मतदाता हैं, मतदाता सूची को सटीक बनाए रखना एक महत्वपूर्ण और निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। चुनाव आयोग हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) करता है, जिसके बाद जनवरी में अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाती है। चुनाव वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव से पहले एक अतिरिक्त संशोधन भी किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता सूची अद्यतन और सही हो।

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाए रखने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी, बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ), राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट और आम जनता की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। बूथ लेवल एजेंटों के माध्यम से मतदाता सूची का सत्यापन और शिकायत समाधान किया जाता है, ताकि कोई मतदाता सूची से वंचित न रहे और गलत प्रविष्टियों को समय पर सुधारा जा सके। इसके अतिरिक्त, मसौदा मतदाता सूची तैयार होने के बाद मतदाताओं से दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए एक निश्चित समय दिया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत यदि किसी मतदाता का नाम सूची में गलत तरीके से दर्ज हुआ है या कोई डुप्लिकेट प्रविष्टि पाई जाती है, तो उसे तुरंत हटाया जाता है। इसके साथ ही, अगर कोई मतदाता अपने नाम या विवरण में सुधार करवाना चाहता है, तो वह भी इस प्रक्रिया के तहत आवेदन कर सकता है।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि तीन महीने के भीतर इस समस्या को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर मतदाता को केवल एक ही वैध मतदाता पहचान पत्र प्राप्त हो। आयोग का मानना है कि इस महत्वपूर्ण कदम से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और किसी भी तरह की अनियमितताओं को समाप्त किया जा सकेगा। साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए आयोग लगातार मतदाता सूची का सत्यापन, संशोधन और समीक्षा करता रहेगा, ताकि आने वाले समय में चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और त्रुटिरहित बनाया जा सके।

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