दिल्ली के चाणक्यपुरी क्षेत्र में शुक्रवार को एक दुखद घटना घटी, जब भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के एक अधिकारी ने एक इमारत की चौथी मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। मृतक अधिकारी की पहचान जितेंद्र रावत के रूप में हुई है, जिनकी उम्र लगभग 35 से 40 वर्ष के बीच थी। घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आवश्यक कार्रवाई करते हुए शव को अपने कब्जे में ले लिया और मामले की गहन जांच की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी।
एक पुलिस अधिकारी ने इस आत्महत्या के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रारंभिक दृष्टि से किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका नहीं है और यह घटना पूरी तरह से अकेले में हुई लगती है। उन्होंने कहा, "हम मामले की जांच कर रहे हैं और पुलिस की टीम सभी तथ्यों को एकत्रित कर रही है ताकि असली कारण का पता लगाया जा सके।"
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधिकारी जितेंद्र रावत मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, विशेषकर डिप्रेशन का इलाज करा रहे थे। उनकी मां, जो इस कठिन समय में उनके साथ थीं, पहली मंजिल पर स्थित एमईए सोसाइटी में रह रही थीं।
अधिकारी के करीबी लोगों ने बताया कि उनकी पत्नी और बच्चे देहरादून में निवास कर रहे थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपने परिवार से दूर रह रहे थे।
हालत की गंभीरता को देखते हुए, यह संभव है कि अकेलेपन और मानसिक तनाव ने उनकी मानसिक स्थिति को और मुश्किल बना दिया। सूत्रों ने यह भी बताया कि जितेंद्र रावत पहली मंजिल पर वर्तमान में रह रहे थे और एक अनजान कारणवश चौथी मंजिल से कूदने का निर्णय लिया।
इस तरह की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सके। पुलिस द्वारा चलाई जा रही जांच का उद्देश्य केवल घटना के कारणों का पता लगाना नहीं, बल्कि उन कारणों को समझना भी है जो ऐसे गंभीर कदम उठाने के लिए किसी को मजबूर कर सकते हैं।