गुजरात की राजनीति में चर्चित नाम हार्दिक पटेल को बड़ी राहत मिली है। अब उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलेगा। अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को मंजूरी दे दी है, जिसमें हार्दिक पटेल और उनके सहयोगियों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह का केस वापस लेने की बात कही गई थी। इससे पहले सरकार ने खुद इस मामले को खत्म करने का ऐलान किया था। अब कानूनी प्रक्रिया पूरी होते ही हार्दिक पटेल और उनके साथियों पर से यह बड़ा आरोप हट जाएगा।
हार्दिक पटेल सहित पांच लोग आरोप मुक्त
शनिवार को अहमदाबाद की अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एम. पी. पुरोहित की अदालत ने विशेष लोक अभियोजक सुधीर ब्रह्मभट्ट द्वारा दायर उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें हार्दिक पटेल, दिनेश बांभणिया, चिराग पटेल, केतन पटेल और अल्पेश कथीरिया के खिलाफ राजद्रोह के आरोपों को वापस लेने की मांग की गई थी। अदालत ने सीआरपीसी की धारा 321 (ए) के तहत इन सभी आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया। हालाँकि, तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन केतन पटेल को गवाह के रूप में पेश किए जाने के कारण माफी दे दी गई थी।
इस मामले में जांच अधिकारी द्वारा आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया गया था, जिसके चलते अल्पेश कथीरिया के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया लंबित थी। गौरतलब है कि पिछले महीने गुजरात सरकार ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े नौ मामलों को वापस लेने का फैसला किया था, जिनमें दो राजद्रोह के केस भी शामिल थे।
क्या थे आरोप?
कोर्ट के आदेश में कहा गया कि इन पांचों लोगों पर आरोप था कि उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की माँग को लेकर पाटीदार समुदाय को भड़काने का काम किया। इस आंदोलन को उन्होंने एक सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया, जिसका उद्देश्य राज्य सरकार के खिलाफ असंतोष और नफरत फैलाना था।
हार्दिक पटेल और अन्य पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें शामिल हैं: धारा 124ए (राजद्रोह), धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या ऐसा करने की साजिश रचने का आरोप)
धारा 121ए (राज्य के खिलाफ साजिश करने का आरोप)
धारा 153ए (धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने का आरोप)
धारा 153बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बयानबाजी)
यह केस उन 300 मामलों में से एक था, जो 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए थे।
2015 के पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल और उनके साथियों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। आंदोलन के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। हालाँकि, 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का रुख किया और अहमदाबाद की वीरमगाम सीट से चुनाव लड़ा। जीत हासिल करने के बाद वे गुजरात विधानसभा के सबसे युवा विधायक बने।