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प्रदूषण के साए में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा: 60% से ज्यादा लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे
25 Feb 2025

अर्थ सेंटर फॉर रैपिड इनसाइट्स (ACRI) द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। अध्ययन के मुताबिक, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के 60% से अधिक लोगों ने वायु प्रदूषण के कारण सांस संबंधी समस्याओं की शिकायत की है। यह स्थिति चिंताजनक है, खासकर तब जब देश के अन्य प्रदूषित राज्यों में भी स्वास्थ्य पर प्रदूषण के गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।
यह सर्वेक्षण पिछले साल 11 से 13 नवंबर के बीच किया गया था, जिसमें बिहार, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल 8,698 परिवार शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण से पहले के दो हफ्तों में 55% से अधिक घरों में कम से कम एक सदस्य को खांसी या सांस लेने में कठिनाई की शिकायत हुई। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली रही, जहां 65% परिवारों ने सांस संबंधी समस्याओं की जानकारी दी। यह आंकड़ा बताता है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर लगातार खराब बना हुआ है, जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं।
प्रदूषण से उत्पादकता पर असर
स्वास्थ्य समस्याओं के कारण लोगों के काम और शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सर्वेक्षण में पाया गया कि सांस संबंधी समस्याओं से प्रभावित 65% से अधिक लोग कम से कम एक दिन काम या स्कूल नहीं जा सके। इनमें से लगभग 40% लोग ऐसे थे, जिन्होंने तीन दिन से अधिक समय तक काम से छुट्टी ली।
18 से 30 वर्ष की आयु वाले युवाओं पर इसका प्रभाव अधिक देखा गया। इस आयु वर्ग के 70% से अधिक लोग कम से कम एक दिन काम या पढ़ाई से अनुपस्थित रहे। यह दर्शाता है कि प्रदूषण का असर केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कार्यक्षमता और शिक्षा पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है।
इस अध्ययन में लिंग-आधारित आंकड़ों का भी विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, 63% महिलाओं की तुलना में 67% पुरुषों ने प्रदूषण जनित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण काम से छुट्टी ली। यह आंकड़ा यह भी दर्शाता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद घरेलू जिम्मेदारियों के कारण घर पर ही रहकर काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय
प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए लोगों ने अलग-अलग तरीके अपनाए। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 40% लोगों ने मास्क पहनने को प्राथमिक उपाय माना, जबकि 17% लोगों ने घर के अंदर रहने का विकल्प चुना। वहीं, 11% लोगों ने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने का तरीका अपनाया, और 8% लोगों ने एयर प्यूरीफायर का उपयोग किया।
हालांकि, चिंताजनक तथ्य यह है कि लगभग 24% लोगों ने माना कि उनके पास वायु प्रदूषण से बचने के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं है। यह खासतौर पर निम्न-आय वर्ग के परिवारों के लिए समस्या है, जिनके पास महंगे एयर प्यूरीफायर या निजी परिवहन जैसे साधन उपलब्ध नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी हस्तक्षेप, जैसे कि स्कूल बंद करना और वर्क-फ्रॉम-होम नीतियां, प्रदूषण के जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। लेकिन ये उपाय मुख्य रूप से शहरी और आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग को ही अधिक लाभ पहुंचाते हैं।