केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र की कड़ी आलोचना की। उन्होंने स्टालिन पर राजनीतिक लाभ के लिए "काल्पनिक चिंताओं" को उठाने का आरोप लगाया और कहा कि नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 किसी भी राज्य पर किसी भी भाषा को थोपने की सिफारिश नहीं करती। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधान ने स्पष्ट किया कि एनईपी 2020 का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक मानकों को स्थापित करना है, साथ ही इसे भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता के अनुरूप बनाना है। उन्होंने कहा, "मैं दोहराना चाहता हूं कि एनईपी किसी राज्य के छात्रों पर कोई भाषा थोपने की सिफारिश नहीं करती। इसका मतलब है कि तमिलनाडु में हिंदी लागू करने की जो आशंका जताई जा रही है, वह पूरी तरह से निराधार है।"
तमिलनाडु सरकार पर लगाया राजनीतिकरण का आरोप
प्रधान ने कहा कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने आरोप लगाया कि, "स्टालिन ने पत्र अच्छी भावना से नहीं लिखा है, बल्कि उसमें केवल राजनीतिक प्रेरित चिंताओं का उल्लेख किया गया है।"
प्रधान ने बताया कि केंद्र सरकार सभी प्रमुख 13 भाषाओं में प्रवेश परीक्षाएं आयोजित कर रही है, जिनमें से एक तमिल भी है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी तमिल भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। "पीएम मोदी ने सिंगापुर में भारत के पहले तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र की घोषणा की, जो तमिलनाडु की समृद्ध विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"
प्रधान ने इस बात पर भी जोर दिया कि एनईपी को लागू न करके तमिलनाडु अपने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को वैश्विक अवसरों से वंचित कर रहा है। उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तमिलनाडु सरकार एनईपी लागू करने से इनकार कर रही है। यहां तक कि कई गैर-भाजपा शासित राज्य भी इसे अपना रहे हैं और केंद्र से पूरा सहयोग ले रहे हैं।"
प्रधान ने यह भी दावा किया कि तमिलनाडु सरकार की इस नीति के कारण राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, "तमिलनाडु पीएम श्री स्कूल योजना को लागू न करके 5000 करोड़ रुपये के फंड से वंचित हो रहा है। यह योजना वैज्ञानिक शिक्षा और मातृभाषा में शिक्षण पद्धतियों पर केंद्रित है, जो एनईपी 2020 के अनुरूप है।"
स्टालिन के पत्र का मूल कारण – ‘समग्र शिक्षा’ फंड
प्रधान ने बताया कि एमके स्टालिन का पत्र मुख्य रूप से 'समग्र शिक्षा' निधि जारी करने को लेकर था। स्टालिन ने अपनी चिट्ठी में इस बात पर नाराजगी जताई थी कि केंद्र सरकार तब तक यह फंड जारी नहीं करेगी जब तक कि तमिलनाडु सरकार 'तीन भाषा' नीति को लागू नहीं करती।
तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सरकार लगातार केंद्र पर हिंदी को राज्य में थोपने का आरोप लगाती रही है। स्टालिन का कहना है कि केंद्र सरकार शिक्षा नीति के नाम पर तमिलनाडु में हिंदी को लागू करना चाहती है और इसी कारण से ‘समग्र शिक्षा’ फंड रोका जा रहा है।