नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। ट्रिब्यूनल ने कहा कि प्रयागराज में गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता से जुड़े महत्वपूर्ण मानकों—फीकल कोलीफॉर्म और ऑक्सीजन लेवल—पर पर्याप्त जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई है। इसके साथ ही, NGT ने UPPCB को निर्देश दिया कि वह गंगा और यमुना नदी की जल गुणवत्ता पर ताजा रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करे।
NGT ने जताई नाराजगी, पानी की गुणवत्ता सुधारने के दिए निर्देश
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथी वेल की पीठ दिसंबर 2023 में जारी आदेश के अनुपालन पर सुनवाई कर रही थी। इस आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को निर्देश दिया गया था कि कुंभ मेले के दौरान गंगा और यमुना नदियों का पानी न केवल स्नान करने, बल्कि पीने योग्य भी हो।
सोमवार को CPCB ने अपने अनुपालन की रिपोर्ट पेश की, जिसमें खुलासा हुआ कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में की गई निगरानी के दौरान गंगा जल में फीकल कोलीफॉर्म और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर नहाने योग्य मानकों से कमतर पाया गया। इसे संज्ञान में लेते हुए NGT ने कहा कि UPPCB ने 23 दिसंबर के आदेश का पालन नहीं किया और अभी तक कोई ठोस कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।
UPPCB की सफाई पर NGT ने उठाए सवाल
बुधवार को हुई सुनवाई में UPPCB ने बताया कि उसने रिपोर्ट दाखिल कर दी है, लेकिन वह CPCB से उन स्थानों की सटीक जानकारी मांग रहा है, जहां से पानी के नमूने एकत्र किए गए थे। इस पर पीठ ने सवाल किया कि क्या UPPCB CPCB की रिपोर्ट पर ही सवाल उठा रहा है।
NGT ने CPCB के वकील से यह स्पष्ट करने को कहा कि पानी के सैंपल कहां से लिए गए और उनकी लैब टेस्टिंग की रिपोर्ट क्या कहती है।
साथ ही, पीठ ने यह भी पाया कि UPPCB द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में जल गुणवत्ता के प्रमुख मापदंड—बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD) और फीकल कोलीफॉर्म—की पर्याप्त जानकारी शामिल नहीं की गई थी।
उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने NGT को आश्वासन दिया कि UPPCB, CPCB की रिपोर्ट में किए गए खुलासों की जांच करेगा और जल गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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