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MUDA मामले में सिद्धारमैया और परिवार को क्लीन चिट, लोकायुक्त पुलिस ने कहा- नहीं मिला कोई सबूत

 27 Oct 2025

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और अन्य के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले में लोकायुक्त पुलिस ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार को बताया कि जांच में किसी भी प्रकार के सबूत नहीं मिले हैं। लोकायुक्त पुलिस की यह स्पष्टता बेंगलुरु स्थित मुख्यालय को अंतिम रिपोर्ट सौंपे जाने के करीब एक सप्ताह बाद सामने आई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके परिवार से जुड़े इस मामले में 138 दिनों की गहन जांच के बाद रिपोर्ट पेश की गई थी।


कैसे हुई थी जांच की शुरुआत?


सितंबर 2024 में बेंगलुरु में निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए बनी विशेष अदालत के आदेश पर लोकायुक्त जांच शुरू की गई थी। इस जांच का नेतृत्व मैसूर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक टी.जे. उदेश ने किया था। जांच के दौरान नौकरशाहों, राजनेताओं, सेवानिवृत्त अधिकारियों और मुडा अधिकारियों सहित 100 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई। सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती और उनके साले बी.एम. मल्लिकार्जुन स्वामी सहित प्रमुख हस्तियों के बयानों की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई और दस्तावेजों में शामिल किया गया।

सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान 3,000 से अधिक पृष्ठों के दस्तावेजों की गहन जांच की गई, जिसमें विवादित संपत्तियों, साइट आवंटन और अधिसूचना प्रक्रियाओं से जुड़े सभी पहलुओं का अध्ययन किया गया। विशेष अदालत ने पिछले साल 27 सितंबर को सिद्धारमैया और तीन अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। यह कदम सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा की याचिका पर आधारित था, जिसे राज्यपाल थावर चंद गहलोत द्वारा जांच की मंजूरी दिए जाने के बाद आगे बढ़ाया गया था।

जांच में भारतीय दंड संहिता (IPC), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम और कर्नाटक भूमि हड़पने निषेध अधिनियम के तहत संभावित उल्लंघनों की भी समीक्षा की गई। हालांकि, किसी भी कानून के उल्लंघन के प्रमाण नहीं मिले, जिसके चलते लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धारमैया और उनके परिवार को क्लीन चिट दे दी है।

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