Article

CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित, अगले महीने आ सकता है फ़ैसला

 27 Oct 2025

मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को जल्द ही अगली तारीख देने का आश्वासन दिया है, ताकि इस महत्वपूर्ण मामले पर शीघ्रता से विचार किया जा सके। मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को हो सकती है ।


सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले का हवाला



इन याचिकाओं में 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले का जिक्र किया गया है। उस फैसले में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए गठित चयन समिति में भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI), प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होंगे। इस कदम का उद्देश्य चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना था। हालांकि, सरकार ने इस निर्देश को नजरअंदाज करते हुए एक नया कानून पारित कर दिया, जिसमें चयन समिति में CJI की जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया। यह बदलाव लोकतंत्र समर्थकों और विपक्षी दलों में असंतोष का कारण बन गया है, क्योंकि यह निर्णय चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है।

कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की आपत्ति


नए कानून के खिलाफ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, लोक प्रहरी और जया ठाकुर सहित कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन याचिकाओं में न केवल कानून की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं, बल्कि इसके आधार पर की गई नियुक्तियों को भी चुनौती दी गई है। विशेष रूप से, हाल ही में नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त विवेक जोशी की नियुक्ति पर याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ये नियुक्तियां संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से पेश अधिवक्ता ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल संवैधानिक महत्व का है, बल्कि इससे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने वाली हर याचिका महत्वपूर्ण होती है। हमें सभी मामलों को समान प्राथमिकता देनी होती है।" अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई के लिए केवल एक घंटे की जरूरत होगी, लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि बुधवार को सुनवाई संभव नहीं हो सकेगी।

Read This Also:- रैगिंग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश बेअसर, आंकड़े कर रहे हैं चौंकाने वाला खुलासा