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भाजपा ने राहुल गांधी के बयान को 'राजनीति से प्रेरित' बताया, संवैधानिक जनादेश पर उठाए सवाल

 28 Oct 2025

भाजपा ने मंगलवार (18 फरवरी, 2025) को कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और एक चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर की गई आलोचना को "राजनीति से प्रेरित" बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। भाजपा ने गांधी पर आरोप लगाया कि वे "दुर्भावनापूर्ण" न्यायिक सक्रियता के जरिए एक निर्वाचित सरकार के संवैधानिक जनादेश को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी ने इस नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा था कि "आधी रात को इस तरह का निर्णय लेना न केवल अपमानजनक है बल्कि अशोभनीय भी है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया जब इसकी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन थी।


सरकार ने ज्ञानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की घोषणा की। इस नियुक्ति को लेकर हुई पैनल बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल थे। इस दौरान राहुल गांधी ने इस प्रक्रिया पर असहमति जताते हुए एक औपचारिक असहमति नोट प्रस्तुत किया।

भाजपा का पलटवार: "राहुल गांधी के आरोप निराधार"


राहुल गांधी के इस बयान के बाद भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा के आईटी विभाग प्रमुख अमित मालवीय ने गांधी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनकी असहमति न केवल राजनीति से प्रेरित है, बल्कि इसमें कोई ठोस आधार भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करने और एक निर्वाचित सरकार के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश का हिस्सा है।

अमित मालवीय ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया को संशोधित करते हुए व्यवस्था दी थी कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर की जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यह प्रक्रिया तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद इस संबंध में कोई स्थायी कानून नहीं बना देती। मालवीय ने आगे कहा कि संसद द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर जो नया कानून बनाया गया है, वह पहले की तुलना में अधिक संरचित, पारदर्शी और समावेशी है। इस प्रक्रिया के तहत कानून मंत्री और दो वरिष्ठ नौकरशाहों की अगुवाई में एक खोज समिति बनाई गई, जिसने पांच उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया। इसके बाद यह सूची प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री (गृह मंत्री) वाली चयन समिति को भेजी गई।

कांग्रेस पर ‘पद के दुरुपयोग’ का आरोप


अमित मालवीय ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि गांधी परिवार को चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनका इतिहास चुनाव आयोग का दुरुपयोग करने, मनचाहे अधिकारियों की नियुक्ति करने और बाद में उन्हें पदों का इनाम देने से भरा पड़ा है। मालवीय ने कई पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों की सूची साझा की, जिन्हें कांग्रेस सरकार ने बाद में विभिन्न राजनीतिक पदों पर नियुक्त किया या उन्हें पद्म पुरस्कारों से नवाजा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने और चुनावी प्रक्रियाओं में मनमानी करने का रहा है।

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