पिछले साल सत्ता से बेदखल की गई बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की कड़ी आलोचना की है और राजनीतिक वापसी का संकल्प लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस द्वारा चलाए जा रहे अंतरिम शासन पर बांग्लादेश में हिंसा और अन्याय फैलाने का आरोप लगाया। हसीना का कहना है कि वह अपनी वापसी में यह सुनिश्चित करेंगी कि बांग्लादेश के पीड़ित परिवारों को उनका उचित न्याय मिले और उनके हत्यारे कानून का सामना करें। उन्होंने कहा, "मैं हर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी रहूंगी और यह सुनिश्चित करूंगी कि उनके हत्यारे बांग्लादेश के कानून के तहत दंडित हों। मैं वापस आऊंगी, शायद इसलिए अल्लाह ने मुझे जिंदा रखा है।"
शेख हसीना ने पिछले वर्ष बांग्लादेश में हुई विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कार्रवाई का बचाव करते हुए यह दावा किया कि जुलाई और अगस्त के महीने में छात्रों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों में जो लोग मारे गए, वे पुलिस की गोलीबारी से नहीं मरे थे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अभी पोस्टमार्टम कराया जाए तो उनके दावे साबित हो जाएंगे। हसीना ने कहा कि अधिकारियों ने अत्यधिक संयम दिखाया और कार्रवाई तब की, जब उन पर हमले किए गए थे।
इस दौरान, उन्होंने खास तौर पर अबू सईद मामले का जिक्र किया और दावा किया कि पुलिसकर्मियों की हत्या "सुनियोजित योजना" का हिस्सा थी।
हसीना ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यूनुस शासन करने के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि उन्होंने खुद ही स्वीकार किया था कि वह "देश चलाने में असमर्थ हैं", फिर भी वह सत्ता की कुर्सी पर बने हुए हैं। शेख हसीना ने अपने आरोपों को और पुख्ता करने के लिए कहा, "सरकारी प्रतिष्ठानों और अधिकारियों पर हमला करने से यह जाहिर होता है कि वे खुद अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में नाकाम रहे हैं।"
शेख हसीना ने यह भी कहा कि जब उन्हें हमला किया गया, तो यूनुस और उनकी सरकार चुप रहे, जो कि उनकी नेतृत्व क्षमता की नाकामी को दर्शाता है। उनका कहना है कि यदि यूनुस ने सत्ता में रहते हुए सही तरीके से काम किया होता, तो हालात अलग होते।
पूर्व प्रधानमंत्री हसीना की यह बयानबाजी बांग्लादेश की राजनीतिक परिस्थितियों में एक नई हलचल पैदा कर सकती है।
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