वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि बजट 2025 में दी गई आयकर छूट का यह मतलब नहीं है कि सरकार ने पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर खपत बढ़ाने पर जोर दिया है। सोमवार को हितधारकों के साथ बजट के बाद की बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था को संतुलित रूप से मजबूत करना है, जिसमें पूंजीगत व्यय और उपभोग दोनों शामिल हैं। सीतारमण ने इस धारणा को भ्रामक करार दिया कि सरकार ने पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर खपत को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पिछले कुछ वर्षों से पूंजीगत व्यय प्रावधानों में लगातार वृद्धि हो रही है।
बजट 2025-26 में पूंजीगत व्यय के लिए 10.2% की वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है, जिससे यह बढ़कर लगभग 16 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें PSU (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों) का पूंजीगत व्यय भी शामिल है, जबकि सरकार का स्वयं का पूंजीगत व्यय 11.21 लाख करोड़ रुपये तय किया गया है।
संशोधित अनुमानों के अनुसार पूंजीगत व्यय में वृद्धि
वित्त मंत्री ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में प्रभावी पूंजीगत व्यय 15.48 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो कि 2024-25 के 13.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें राज्यों को दी जाने वाली सहायता अनुदान राशि भी शामिल है, जो राज्यों में नए बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करेगी।
उन्होंने कहा, "यह सोचना गलत है कि हमने पूंजीगत व्यय से ध्यान हटाकर केवल उपभोग को बढ़ावा दिया है। हमारी सरकार हमेशा से बुनियादी ढांचे और दीर्घकालिक विकास को प्राथमिकता देती रही है।"
बजट 2025-26 में मध्यम वर्ग को कर राहत देने के लिए आयकर छूट सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी गई है। इसका सीधा लाभ मध्यम वर्ग के एक करोड़ से अधिक करदाताओं को मिलेगा।
सरकार के इस कदम से प्रत्यक्ष करों में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों में 2600 करोड़ रुपये की राजस्व हानि होगी, लेकिन सरकार को उम्मीद है कि यह पैसा उपभोग, बचत और निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था में वापस आएगा।
सीतारमण ने कहा कि आयकर में छूट और आरबीआई द्वारा रेपो दर में संभावित कटौती से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। इससे उपभोग तो बढ़ेगा ही, साथ ही नए निवेश और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की हालिया बिकवाली को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश का माहौल अनुकूल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय शेयर बाजार में मुनाफावसूली स्वाभाविक प्रक्रिया है और इससे निवेशकों का विश्वास प्रभावित नहीं होगा।
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