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मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान – हर मामले की निगरानी दिल्ली से संभव नहीं

 04 Nov 2025

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मॉब लिंचिंग से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि देशभर में होने वाली ऐसी घटनाओं की निगरानी दिल्ली में बैठकर संभव नहीं है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने 2018 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा से निपटने के लिए पहले ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। याचिका में राज्यों को इन निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का आदेश देने की मांग की गई थी ताकि लिंचिंग और भीड़ हिंसा की घटनाओं को प्रभावी ढंग से रोका जा सके।


शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि उसके द्वारा दिए गए निर्देश संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत देशभर में बाध्यकारी हैं। यदि किसी मामले में इनका पालन नहीं होता है तो पीड़ित व्यक्ति उचित कानूनी उपायों के लिए सक्षम अदालतों का दरवाजा खटखटा सकता है। लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने की मांग पर विचार करते हुए पीठ ने कहा कि हर मामले की परिस्थितियां अलग होती हैं, इसलिए एक समान मुआवजा तय करना उचित नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति को मामूली चोटें आई हैं और किसी अन्य को गंभीर नुकसान हुआ है, तो दोनों को समान मुआवजा देना अन्यायपूर्ण होगा। अदालत ने कहा कि ऐसी राहत की मांग करने वाली याचिका वास्तव में पीड़ितों के हित में नहीं होगी।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि 2018 के फैसले में पहले ही विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए थे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में मॉब लिंचिंग को एक अलग अपराध के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे इस तरह के मामलों में और अधिक प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी।

एटीएम पर 24 घंटे सुरक्षा गार्ड की तैनाती आवश्यक नहीं: सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गौहाटी हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें एटीएम पर चौबीसों घंटे सुरक्षा गार्ड तैनात करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह आदेश व्यावहारिक नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो कुछ बैंकों की ओर से पेश हुए थे, ने तर्क दिया कि असम में लगभग 4,000 एटीएम हैं और हर एटीएम पर सुरक्षा गार्ड तैनात करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त सुरक्षा व्यवस्था सीसीटीवी कैमरों की तैनाती पर आधारित है, जो कि बैंकों द्वारा अपनाई गई एक प्रभावी रणनीति है।

सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को याद दिलाया कि दिसंबर 2016 में ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निर्देश पर रोक लगा दी थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत अन्य बैंकों को हाईकोर्ट द्वारा एटीएम सुरक्षा प्रोटोकॉल से जुड़े अन्य निर्देशों को लागू करने में कोई आपत्ति नहीं है। अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश को खारिज कर दिया।

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