राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 मार्च को सुनवाई करेगा। इस याचिका में दोषी ठहराए गए सांसदों और विधायकों पर चुनाव लड़ने से आजीवन प्रतिबंध लगाने की अपील की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर परीक्षण करने की सहमति जताते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की बेंच गठित की है।
सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 की जांच का किया ऐलान
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि एक सरकारी कर्मचारी हत्या या बलात्कार जैसे गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसे फिर से नौकरी नहीं मिल सकती। लेकिन एक सांसद या विधायक दोषी ठहराए जाने के बावजूद दोबारा चुनाव लड़ सकता है और मंत्री भी बन सकता है। इसी संदर्भ में शीर्ष अदालत ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 की जांच करने का निर्णय लिया है।
राजनीतिक दलों की भूमिका पर सवाल
याचिका में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को राजनीति में प्रवेश से प्रतिबंधित करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों के मामलों की धीमी सुनवाई पर भी चिंता जताई। जस्टिस मनमोहन ने दिल्ली की निचली अदालतों का उदाहरण देते हुए कहा कि अक्सर एक या दो मामलों की सुनवाई के बाद जज अपने चैंबर में चले जाते हैं, जिससे मामलों की प्रगति बाधित होती है।
एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में एमपी/एमएलए कोर्ट में सुनवाई टाल दी जाती है, बिना कोई ठोस कारण बताए। सुप्रीम कोर्ट ने इस देरी पर नाराजगी जाहिर की और यह भी कहा कि कई राज्यों में अभी तक एमपी/एमएलए कोर्ट गठित नहीं की गई है। हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि क्या चुनाव आयोग ऐसा नियम नहीं बना सकता, जिससे किसी गंभीर अपराध में दोषी व्यक्ति को राजनीतिक दलों में पदाधिकारी नियुक्त करने पर रोक लगाई जा सके?
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को क्यों नहीं चुन पा रहे हैं। अक्सर दलील दी जाती है कि आरोपी एक सामाजिक कार्यकर्ता है और उसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। फिलहाल, मौजूदा नियमों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को आपराधिक मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी सजा पूरी होने के छह साल बाद तक वह चुनाव नहीं लड़ सकता। लेकिन इस याचिका में मांग की गई है कि दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए, ताकि राजनीति को अपराधियों से मुक्त किया जा सके। अब इस अहम मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होगा, यह 4 मार्च की सुनवाई के बाद स्पष्ट होगा।
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