भारतीय राजनीति में आमतौर पर बीजेपी और कांग्रेस को दो विपरीत ध्रुव माना जाता है, लेकिन लुटियंस दिल्ली से दूर, पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में एक अलग ही सियासी समीकरण उभरता दिख रहा है। यहां तीस्ता-III हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को लेकर दोनों दलों ने एक सुर में विरोध दर्ज कराया है। बीजेपी की सिक्किम इकाई के अध्यक्ष डी.आर. थापा ने इस परियोजना के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने आग्रह किया कि इस मसले पर पुनर्विचार किया जाए, क्योंकि परियोजना से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को दरकिनार कर इसे मंजूरी दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना के प्रभावों का वैज्ञानिक आकलन किए बिना कोई भी निर्णय लेना विनाशकारी हो सकता है। अपनी इस मांग को मजबूती देने के लिए सिक्किम बीजेपी के पदाधिकारी जल्द ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात करने वाले हैं।
बीजेपी के इस रुख को कांग्रेस का भी समर्थन मिल गया है। पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि इस परियोजना को जल्दबाजी में मंजूरी दी जा रही है, जबकि इससे पर्यावरण को गंभीर खतरा है। उन्होंने चेताया कि इस क्षेत्र में पहले भी प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारी तबाही मची है और इस परियोजना से जोखिम और बढ़ सकता है। जयराम रमेश ने पिछले साल अगस्त में कांग्रेस द्वारा दिए गए एक बयान को भी साझा किया, जिसमें पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाया था कि वह पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में जलविद्युत परियोजनाओं को बिना पर्याप्त वैज्ञानिक अध्ययन के मंजूरी दे रही है। उन्होंने कहा कि तीस्ता नदी पर बांध इसी का एक प्रमुख उदाहरण है, जिससे क्षेत्र की पारिस्थितिकी मौलिक रूप से बदल जाएगी और भविष्य में इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे।
क्यों हो रहा है तीस्ता हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का विरोध?
सिक्किम में अक्टूबर 2023 में आई एक विनाशकारी बाढ़ इस विरोध की प्रमुख वजह बनी है। 3-4 अक्टूबर की रात दक्षिण ल्होनक झील का प्राकृतिक हिमोढ़ बांध टूट गया था, जिससे अचानक ग्लेशियर की झील फटने (GLOF) जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। इस बाढ़ ने पूरे इलाके में भारी तबाही मचाई, जिसमें 40 से 50 लोगों की जान चली गई, हजारों लोग विस्थापित हो गए और तीस्ता-III हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का 60 मीटर ऊंचा रॉकफिल कंक्रीट बांध पूरी तरह बह गया। इस त्रासदी के बाद भी क्षेत्र की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है।
इसी पृष्ठभूमि में बीजेपी की सिक्किम इकाई ने नए हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का विरोध किया है। डी.आर. थापा ने 2 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में स्पष्ट किया कि जब तक सुरक्षा चिंताओं का उचित समाधान नहीं हो जाता, तब तक किसी नए प्रोजेक्ट को मंजूरी देना सही नहीं होगा। उन्होंने यह भी मांग रखी कि सिक्किम में मौजूद सभी हाइड्रोपावर परियोजनाओं का वैज्ञानिक पुनर्मूल्यांकन किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की आपदाओं को रोका जा सके।
थापा ने पत्र में कहा कि सिक्किम एक पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिमालयी राज्य है, जहां जलवायु परिवर्तन के असर अधिक गहरे हो सकते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि जलवायु डेटा, GLOF जोखिम और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों का विस्तृत अध्ययन किया जाए और वैज्ञानिक आधार पर निर्णय लिया जाए। उनकी राय में, बिना उचित सुरक्षा उपायों के इस परियोजना को आगे बढ़ाने से भविष्य में और भी बड़ी आपदाएं आ सकती हैं।
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