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RSS प्रमुख मोहन भागवत का दावा – "हिंदू समाज की एकता से होगा भारत का उत्कर्ष"

 11 Nov 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने दो दिवसीय केरल दौरे के दौरान पथानामथिट्टा हिंदू धर्म सम्मेलन में संबोधन दिया। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के उत्थान में एकता सबसे आवश्यक तत्व है, और इसमें कोई संदेह नहीं कि भविष्य में हिंदू समाज विश्व गुरु बनेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठित समाज ही प्रगति करता है, जबकि विभाजित समाज पतन की ओर बढ़ता है। इतिहास और वर्तमान समय दोनों इस तथ्य के प्रमाण हैं।


"हिंदू मात्र एक धर्म नहीं, बल्कि एक स्वभाव का नाम"


मोहन भागवत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शक्ति का सही दिशा में उपयोग किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा: "शक्ति तो शक्ति होती है, लेकिन उसका उपयोग करने वाले व्यक्ति की बुद्धि कैसी है, यह महत्वपूर्ण होता है। दुष्ट व्यक्ति विद्या का उपयोग विवाद बढ़ाने के लिए करते हैं, धन का उपयोग अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए करते हैं और शक्ति का उपयोग दूसरों को पीड़ा देने के लिए करते हैं। इसके विपरीत, संतजन विद्या से ज्ञान बढ़ाते हैं, धन से दान करते हैं और शक्ति का उपयोग निर्बलों की रक्षा के लिए करते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज की एकता पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी होगी। हिंदू समाज में विविधता अवश्य है—अनेक मत, पंथ, संप्रदाय और भाषाएँ हैं—लेकिन यह विविधता ही इसकी विशालता और समावेशिता को दर्शाती है।

"हिंदू शक्ति का उपयोग केवल विश्व कल्याण के लिए होगा"


भागवत ने बताया कि हिंदू समाज धर्म-प्राण समाज है, और इसकी शक्ति का उपयोग सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना से किया जाएगा। उन्होंने कहा: "भूगोल, वातावरण, खान-पान और रहन-सहन में भले ही भिन्नताएँ हों, फिर भी हिंदू समाज की आत्मा एक है। हिंदू एक विशिष्ट स्वभाव का नाम है, जो सहिष्णुता, करुणा और समरसता पर आधारित है।" उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एकता केवल बाहरी रूप से नहीं, बल्कि यह अंदर का सत्य है।

मोहन भागवत ने यह भी कहा कि दुनिया में अधिकांश संघर्ष स्वार्थ और भेदभाव के कारण होते हैं। मनुष्य जब किसी अन्य व्यक्ति को अपने समान नहीं मानता, तब टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा: "हमारी विविधताएँ केवल बाहरी हैं—भौतिक जीवन में अलग-अलग परंपराएँ, मत, संप्रदाय, ग्रंथ और गुरु हो सकते हैं, लेकिन हम सबका मूल एक ही है। यही सनातन धर्म है, यही मानव धर्म है, यही हिंदू धर्म है।" उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज के पास करुणा और सहिष्णुता की दृष्टि है, जो उसे संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए कार्य करने की प्रेरणा देती है।

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