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‘पश्चिम बंगाल’ नहीं, ‘बांग्ला’ चाहिए! ममता सरकार ने फिर उठाया नाम बदलने का मुद्दा
13 Nov 2025
भारत में पिछले कुछ वर्षों में कई शहरों, रेलवे स्टेशनों और स्थानों के नाम बदले गए हैं। अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) राज्य का नाम बदलने की मांग कर रही है। मंगलवार को राज्यसभा में तृणमूल सांसद रीताब्रत बनर्जी ने इस मुद्दे को उठाया और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर 'बांग्ला' रखा जाए। रीताब्रत बनर्जी ने राज्यसभा में कहा कि जुलाई 2018 में पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इसे मंजूरी नहीं दी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस नाम परिवर्तन को बंगाल के इतिहास, संस्कृति और पहचान से जोड़ते हुए समर्थन देने की अपील की थी।
पश्चिम बंगाल नाम बदलने के पीछे TMC के तर्क
- इतिहास से जुड़ा तर्क – 1947 में बंगाल का विभाजन हुआ, जिसके बाद भारतीय हिस्से को पश्चिम बंगाल और पाकिस्तानी हिस्से को पूर्वी पाकिस्तान नाम दिया गया। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान ने स्वतंत्रता प्राप्त कर बांग्लादेश बना लिया। अब जब पूर्वी पाकिस्तान अस्तित्व में नहीं है, तो पश्चिम बंगाल के नाम में 'पश्चिम' शब्द जोड़ने की आवश्यकता नहीं है।
- राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान – टीएमसी का कहना है कि 'बांग्ला' नाम क्षेत्र की संस्कृति, भाषा और इतिहास का सही प्रतिनिधित्व करता है।
- प्रोटोकॉल और प्राथमिकता से जुड़ा तर्क – ममता बनर्जी ने एक बार कहा था कि पश्चिम बंगाल का नाम अंग्रेजी के 'W' अक्षर से शुरू होता है, जिससे राज्यों की सूची में यह सबसे नीचे आता है। आधिकारिक सम्मेलनों और बैठकों में पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधियों को अंतिम वक्ता के रूप में बुलाया जाता है, जब अधिकांश लोग थककर जा चुके होते हैं। उनका मानना है कि 'बांग्ला' नाम से इस समस्या का समाधान हो सकता है।
पहले भी उठ चुकी है नाम बदलने की मांग
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