कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने गुरुवार को अमेरिका द्वारा कथित रूप से अवैध रूप से रह रहे 100 से अधिक भारतीय नागरिकों के निर्वासन पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस कार्रवाई को "अमानवीय और मध्ययुगीन" बताते हुए कहा कि ये लोग अपराधी नहीं हैं, बल्कि बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका गए थे। तिवारी ने कहा कि वह इस तरह के अमानवीय व्यवहार से "बिल्कुल व्यथित" हैं।समाचार एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए मनीष तिवारी ने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका से निर्वासित किए गए और अमृतसर लाए गए भारतीय नागरिकों के साथ किया गया अमानवीय व्यवहार मुझे पूरी तरह से व्यथित करता है। वे अपराधी नहीं हैं, वे बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका गए थे।"
कांग्रेस सांसद ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए सवाल उठाया कि पीएम और विदेश मंत्री के स्तर पर सरकार इस तरह के अमानवीय व्यवहार को कैसे सहन कर सकती है। उन्होंने दावा किया कि इन व्यक्तियों को घंटों तक "हथकड़ी और बेड़ी" में रखा गया, और यह बिल्कुल बर्बर है। तिवारी ने यह भी सवाल किया कि क्या निर्वासन के दौरान अमेरिकी कानूनों की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था। उन्होंने कहा, "अगर उन्हें निर्वासित किया ही जाना था, तो कम से कम उन्हें सम्मान और गरिमा के साथ भेजा जाता।"
इस बीच, प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर की जांच की। तस्वीर में दावा किया गया था कि भारतीय नागरिकों को निर्वासन के दौरान हथकड़ी और बेड़ी में बंधे हुए दिखाया गया था। PIB ने स्पष्ट किया कि यह तस्वीर भारतीय नागरिकों से संबंधित नहीं है, बल्कि ग्वाटेमाला से जुड़ी हुई है। PIB ने ट्वीट किया, "सोशल मीडिया पर एक फर्जी तस्वीर शेयर की जा रही है, जो ग्वाटेमाला में निर्वासित लोगों की है, न कि भारतीय नागरिकों की।"
अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि हालांकि वे विशिष्ट विवरण साझा नहीं कर सकते, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी सीमा और आव्रजन कानूनों को सख्ती से लागू कर रहा है और अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। प्रवक्ता ने कहा, "यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश देती है कि अवैध प्रवास जोखिम के लायक नहीं है।"