केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में एक सत्र न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें नशीली दवाओं से जुड़े एक मामले के आरोपी को विदेश यात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। इस मामले में न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने सत्र न्यायाधीश की आलोचना करते हुए कहा कि आरोपी को विदेश जाने से रोकने के लिए विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़ों का उदाहरण देना पूरी तरह से गलत था। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे व्यक्तियों के उदाहरण देकर आरोपी को न केवल अनुचित तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा था, बल्कि यह तर्क भी अव्यावहारिक था। न्यायमूर्ति अरुण ने कहा, "विजय माल्या और नीरव मोदी का उदाहरण देना एक गलत तुलना थी, क्योंकि वे अलग मामले हैं।"
आरोपी सूर्यानारायणन, जो नशीली दवाओं से संबंधित एक अपराध में चौथे आरोपी हैं, उनके खिलाफ मामला त्रिशूर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय-III में विचाराधीन है।
आरोपी को 6 मार्च 2019 को त्रिशूर जिला सत्र न्यायालय से जमानत मिली थी, लेकिन बाद में उन्होंने विदेश में काम करने के लिए यात्रा की अनुमति देने की याचिका दायर की। सत्र न्यायालय ने इस याचिका को खारिज करते हुए यह तर्क दिया कि आरोपी को विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि वह विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़ों के उदाहरण को ध्यान में रखते हुए फरार हो सकता था।
सत्र न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए कहा था, "अगर आरोपी विदेश में फरार हो जाता है तो उसे वापस लाना हमारे लिए बहुत मुश्किल होगा। हम विजय माल्या और नीरव मोदी को भी वापस नहीं ला सकते, जिन्होंने हजारों करोड़ों की वित्तीय धोखाधड़ी की और अब विदेश में आराम से जीवन जी रहे हैं। अगर आरोपी विदेश में भाग जाता है तो उसे कौन लाएगा?" यह तर्क अदालत में विवाद का कारण बना, और हाईकोर्ट ने इसे गलत समझा।
हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि सत्र न्यायालय में अभी भी 4,000 से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 1,000 से अधिक मामले पांच साल से पुराने हैं। कोर्ट ने यह भी माना कि यदि आरोपी का मामला दो साल तक निस्तारित नहीं हो सका है, तो उसे विदेश में काम करने का अवसर देने से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि यह आरोपी न्यायिक प्रक्रियाओं में सहयोग करता है और निर्धारित शर्तों का पालन करता है, तो उसे विदेश यात्रा की अनुमति मिलनी चाहिए।
अंत में, हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय को आदेश दिया कि आरोपी को विदेश यात्रा की अनुमति दी जाए, बशर्ते वह किसी वकील के माध्यम से अदालत में उपस्थित हो और सत्र न्यायालय द्वारा तय किए गए अतिरिक्त शर्तों का पालन करे। इस निर्णय के साथ, कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि न्यायिक प्रक्रियाओं में कोई बाधा उत्पन्न न हो, और आरोपी को विदेश जाने का मौका मिल सके, जबकि कानूनी जिम्मेदारियां भी पूरी की जाएं।
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