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Waqf बिल पर ओवैसी के आरोपों को जगदंबिका पाल ने किया ख़ारिज, कहा- ‘वह सभी को ग़ुमराह कर रहे’

 18 Nov 2025

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में संसदीय समिति के चेयरमैन जंगदंबिका पाल पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जंगदंबिका पाल ने अपनी सत्ता का गलत इस्तेमाल किया और असल मुद्दों को जानबूझकर रिपोर्ट से हटा दिया। ओवैसी का कहना था कि रिपोर्ट में किए गए संपादन से विपक्ष की आवाज को दबाया गया है और यह एक गैर-कानूनी तरीका है। इसके बाद, समिति के अध्यक्ष जंगदंबिका पाल ने ओवैसी के आरोपों का खंडन किया और कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से पारदर्शी और नियमों के अनुसार बनाई गई है। जंगदंबिका पाल ने ओवैसी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, "ओवैसी लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जबकि वे खुद कमेटी के सदस्य हैं। उन्होंने कोई ठोस जानकारी नहीं दी है। वक्फ बाय यूजर पर जो भ्रम फैलाया जा रहा है, वह पहले से लागू नहीं था और न ही इसे अभी लागू किया जाएगा।


इसमें किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। रिपोर्ट में सब कुछ नियमों के अनुसार है और विरोध की कोई आवाज दबाई नहीं गई है।" उन्होंने यह भी कहा कि असहमति नोट को सही तरीके से शामिल किया गया था और किसी भी जरूरी जानकारी को रिपोर्ट से नहीं हटाया गया। ओवैसी ने अपने बयान में कहा, "मैंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ संयुक्त समिति को एक विस्तृत असहमति नोट सौंपा था, लेकिन यह चौंकाने वाली बात है कि मेरी जानकारी के बिना कुछ हिस्सों को संपादित कर दिया गया। हटाए गए खंड विवादास्पद नहीं थे, बल्कि वे केवल तथ्यात्मक थे। रिपोर्ट में जो कुछ भी बदला गया है, वह केवल उनकी इच्छाओं के अनुसार किया गया।" 

ओवैसी ने यह सवाल भी उठाया कि जब वे अपनी असहमति रिपोर्ट पूरी तरह से और सही तरीके से पेश कर रहे थे, तो उनके बिंदुओं को क्यों हटा दिया गया और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास क्यों किया गया? ओवैसी के आरोपों के मुताबिक:
 
- 130 पन्नों से ज्यादा का असहमति नोट था, लेकिन रिपोर्ट में इसका कुछ हिस्सा शामिल नहीं किया गया।
- 8 से 10 पैराग्राफ को जानबूझकर ब्लैक आउट कर दिया गया। 
- 40 असहमति बिंदुओं को पूरी तरह से हटा दिया गया। 
- रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि वक्फ आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहा है, जिसे लेकर ओवैसी ने सख्त आपत्ति जताई और कहा कि यह पूरी तरह से गलत है।

 ओवैसी के इन आरोपों के बाद राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस शुरू हो गई है, जहां उनका कहना है कि वक्फ सुधार विधेयक में जरूरी बदलावों और बिंदुओं को नजरअंदाज किया गया है, जो समाज के एक बड़े हिस्से के लिए महत्वपूर्ण थे। ओवैसी ने यह भी कहा कि अगर इस मुद्दे पर सरकार और समिति सही तरीके से जवाब नहीं देती है, तो वे आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे।

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