प्रयागराज महाकुंभ के दौरान मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के बीच एक बड़ा विवाद सामने आया। यह घटना तब घटी जब हिंदू हॉस्टल के पास मुख्यमंत्री के लिए बनाए गए बैरिकेड पर एक वकील को रोका गया। पुलिस ने बैरिकेड्स पर सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से वकील को रोकने की कोशिश की, जिससे विवाद उत्पन्न हो गया। इसके बाद चौकी प्रभारी दारोगा और कुछ सिपाही उस वकील को पीटने लगे, जोकि वकील समुदाय के लिए असहनीय था।
इस घटना से वकील आक्रोशित हो गए और देखते ही देखते बड़ी संख्या में वकील मौके पर पहुंच गए।
वकीलों ने खुद ही पास की सड़क पर बैरिकेडिंग लगाकर चक्काजाम करने की कोशिश की और इसके साथ ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन में खलबली मच गई और तत्काल भारी पुलिस बल मौके पर तैनात किया गया। वकील समुदाय ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और अपनी बात रखने के लिए अड़ गए।
इसके बाद, पुलिस ने वकीलों को शांत करने के लिए उन्हें समझाने की कोशिश की।
मामला बढ़ते देख प्रशासन ने वकीलों की मांग पर तुरंत नाका चौकी प्रभारी अतुल कुमार सिंह को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही इस पूरे विवाद की जांच का आदेश भी दे दिया गया। वकील समुदाय के द्वारा उठाए गए कदमों और पुलिस के एक्शन के बाद स्थिति कुछ हद तक शांत हुई और दोनों पक्षों में तनाव कम हुआ। हालांकि, यह घटनाक्रम महाकुंभ के दौरान प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर गया।
यह घटना न केवल सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंताएं पैदा करती है, बल्कि महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन के दौरान प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और सटीकता की आवश्यकता को भी उजागर करती है।
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