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Delhi Poll: केजरीवाल को सता रहा है 10 फ़ीसदी वोटरों का रुख, नई दिल्ली में हो सकता है तख़्तापलट

 19 Nov 2025

दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार का दौर अब समाप्त हो चुका है, और इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) ने चौथी बार दिल्ली में सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने भी सत्ता में आने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी। इस चुनाव को राजनीतिक विश्लेषक अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं। केजरीवाल ने बार-बार जनता से अपील की है कि यदि भाजपा सत्ता में आती है, तो मुफ्त सुविधाओं को बंद कर दिया जाएगा, और लोगों को यह चेतावनी दी है कि वे गलत बटन दबाने से बचें। इसके अलावा, एक दिन पहले केजरीवाल ने ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताई और समर्थकों से कहा कि सभी सीटों पर कम से कम 10 प्रतिशत का मार्जिन हासिल करना बेहद जरूरी है। उनका दावा था कि ईवीएम में 10 प्रतिशत तक वोटों की गड़बड़ी हो सकती है, और इसी कारण उन्होंने अपने समर्थकों से 15 प्रतिशत का मार्जिन प्राप्त करने की अपील की। 


इस मार्जिन से वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि 10 प्रतिशत की गड़बड़ी होने पर भी 5 प्रतिशत के अंतर से वे चुनाव जीत सकें। हालांकि, चुनाव आयोग ने बार-बार इस तरह की आशंकाओं को खारिज किया है और ईवीएम में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को सिरे से नकारा है। विश्लेषकों के मुताबिक, केजरीवाल का यह बयान एक रणनीति हो सकता है, जिसका उद्देश्य अपने समर्थकों को यह विश्वास दिलाना है कि यदि उन्हें बहुमत से अधिक वोट मिलते हैं, तो उनका जनादेश सुरक्षित रहेगा। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन अब भाजपा के वोट शेयर में बढ़ोतरी देखी जा रही है। 

पिछले चुनाव में AAP के वोट शेयर में गिरावट आई थी, खासकर 32 सीटों पर और भाजपा का वोट शेयर बढ़ा था, जिससे उनकी सीटों की संख्या में वृद्धि हुई थी। 2020 में भाजपा ने 62 सीटों पर वोट शेयर में इजाफा किया, जिसमें से 18 सीटों पर 10 प्रतिशत से अधिक वोटों का उछाल देखा गया। अब, आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से कैसे निपटे। पार्टी ने इसे भांपते हुए कई सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए हैं। अरविंद केजरीवाल खुद स्वीकार कर चुके हैं कि पानी, सड़क और यमुना सफाई के मोर्चे पर उनका काम अधूरा रहा है और इसके लिए वह एक और मौका चाहते हैं। इन समस्याओं को लेकर उनके सामने एक और बड़ी चुनौती यह है कि वे उन वोटर्स को कैसे बनाए रखें जिन्होंने पहले उनके पक्ष में मतदान किया था। इसके लिए केजरीवाल बार-बार यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि उनकी सरकार ने लोगों को क्या लाभ पहुंचाया है। वह कहते रहे हैं कि उनकी सरकार ने हर परिवार के लिए औसतन 25,000 रुपये की बचत की है, और यदि भाजपा की सरकार बनती है तो यह बचत खत्म हो जाएगी। 

केजरीवाल इस मुद्दे को लेकर बहुत संवेदनशील दिख रहे हैं और जनता से अपील कर रहे हैं कि वे सरकार के लाभ और मुफ्त योजनाओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव में अपनी वोटिंग करें। यह चुनाव केवल दिल्ली के भविष्य के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में हैं, और यह देखा जाएगा कि किसकी रणनीति जनता के बीच ज्यादा प्रभावी साबित होती है।

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