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‘Mahakumbh में हजारों मौतें, पोस्टमार्टम भी नहीं’- रामगोपाल यादव ने योगी सरकार पर लगाए बड़े आरोप

 21 Nov 2025

प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ और उसके बाद हुई भारी त्रासदी को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना की है। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान उन्होंने इस घटना के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देशन में बनाए गए पुलों को बंद कर दिया गया था, जबकि केवल अखाड़ों और वीवीआईपी के लिए रास्ते छोड़े गए थे, जिस कारण यह भयंकर दुर्घटना हुई। रामगोपाल यादव ने यह भी आरोप लगाया कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे में हजारों लोग मारे गए, कुछ लोग गंगा में बह गए और कुछ लोग इस भगदड़ में दबकर मारे गए। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिया था कि मृतकों की संख्या 30 से ज्यादा न दिखे। इसके अलावा, उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मृतकों के परिवारों को लाशें नहीं दी जा रही हैं और पोस्टमार्टम भी नहीं करवाया जा रहा है। वह यह भी कहते हैं कि मृतकों के परिवारों को पैसे देकर मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है ताकि वास्तविक संख्या छिपाई जा सके।


रामगोपाल यादव ने इस घटनाक्रम को गंभीर लापरवाही करार दिया और कहा कि इसके बावजूद प्रशासन की ओर से किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने यह सवाल उठाया कि यदि विपक्ष इस मामले को उठाता है, तो सरकार इसे नजरअंदाज कर देती है और किसी भी नोटिस पर ध्यान नहीं देती है। समाजवादी पार्टी की दूसरी सांसद जया बच्चन ने भी महाकुंभ भगदड़ पर चिंता जताते हुए मृतकों की सही संख्या को सार्वजनिक करने की अपील की। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनता को सही जानकारी देने के बजाय झूठ बोल रही है। जया बच्चन का कहना था कि व्यवस्थाएं आम आदमी के लिए नहीं, बल्कि केवल वीवीआईपी के लिए थीं, और सरकार को इसे लेकर जनता को जवाब देना चाहिए।

कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की एकजुट मांग थी कि महाकुंभ भगदड़ पर चर्चा की जाए, लेकिन सरकार ने इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने विपक्षी दलों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया और इसके बजाय अपनी नीति से आगे बढ़ने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर कोई जिम्मेदारी नहीं ली और इसे पूरी तरह से नजरअंदाज किया। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने भी महाकुंभ भगदड़ मामले को लेकर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हादसे के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं दी जा रही और लोग अब भी अपनों को ढूंढ रहे हैं। झा ने यह भी कहा कि कुछ अपुष्ट खबरें आ रही हैं कि पूरी ट्रक में मोबाइल फोन मिले थे, जो छोड़े गए थे, लेकिन इनके मालिकों का अब तक पता नहीं चल पाया है। उन्होंने सवाल किया कि इस गंभीर मामले में अब तक कितनी जानें गईं, और सरकार इस मुद्दे पर सदन को अनभिज्ञ क्यों बनाए हुए है। राज्यसभा में महाकुंभ पर चर्चा की मांग करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सदन की कार्यवाही से बाहर चले गए। 

सभापति ने जब कांग्रेस के प्रमोद तिवारी को बोलने का मौका नहीं दिया और विधायी कार्य शुरू कर दिया, तो विपक्षी दलों के सदस्य नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत महाकुंभ में हुई अव्यवस्था पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन उनकी मांगों को अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन से बाहर जाने का निर्णय लिया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर विपक्षी दलों का कहना है कि यह सरकार के रवैये और जवाबदेही से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। विपक्ष यह चाहता है कि महाकुंभ में हुई इस भगदड़ की सही संख्या और घटना की वास्तविकता को सामने लाया जाए ताकि जिम्मेदारी तय की जा सके और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।

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