इन्फोसिस के सह-संस्थापक और आईटी उद्योग के दिग्गज एस.के. गोपालकृष्णन और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के पूर्व निदेशक बालाराम सहित कुल 18 व्यक्तियों के खिलाफ एससी-एसटी ऐक्ट के तहत एक गंभीर मामला दर्ज किया गया है। यह मामला बेंगलुरु के सदाशिव नगर पुलिस थाने में दर्ज किया गया है, और यह एफआईआर शहर की सेशन कोर्ट के आदेश पर फाइल हुई है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसे एक फर्जी हनी ट्रैप मामले में फंसाया गया था, जिसके बाद उसे भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) से न केवल बर्खास्त किया गया बल्कि जातिगत गालियां दी गईं और उसे धमकाया भी गया।
शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया है कि उनका धर्म और जाति को लेकर भेदभाव किया गया, जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक कष्ट उठाना पड़ा। गोपालकृष्णन IISc के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य रहे हैं, और इस मामले में उनका नाम सामने आना इस संस्थान और इन्फोसिस के लिए चिंता का विषय बन गया है।
शिकायतकर्ता दुर्गप्पा, जो एक जनजाति समुदाय से आते हैं, का कहना है कि वह IISc के सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में एक फैकल्टी सदस्य थे। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में उन्हें साजिश के तहत हनी ट्रैप के झूठे मामले में फंसाया गया और उसके बाद उन्हें संस्थान से निकाल दिया गया। उनका कहना है कि यह सब उनके साथ जातिगत भेदभाव के चलते हुआ, और बाद में उन्हें सार्वजनिक रूप से धमकी भी दी गई।
इस मामले में कुल 18 लोग शामिल हैं, जिनमें गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्ववरैया, हरि केवीएस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता महीसी, के. चट्टोपाध्याय और प्रदीप डी. सावकर शामिल हैं। अब तक इस मामले में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) या गोपालकृष्णन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया गया है कि पुलिस जल्द ही इन व्यक्तियों से पूछताछ करने की योजना बना सकती है।
गोपालकृष्णन और इन्फोसिस से नाता
एस.के. गोपालकृष्णन इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं और एक प्रमुख आईटी उद्योग विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने 2011 से 2014 तक कंपनी के वाइस चेयरमैन के रूप में कार्य किया। इसके अतिरिक्त, वह 2007 से 2011 तक कंपनी के CEO और MD भी रहे। उनके नेतृत्व में इन्फोसिस ने कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए, और उन्होंने कंपनी को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख आईटी सेवा प्रदाता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, गोपालकृष्णन भारतीय उद्योग के प्रमुख चेहरों में से एक हैं और 2013-14 में उन्होंने कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
2014 में, वह दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में कारोबारी समुदाय का नेतृत्व कर चुके हैं।
2011 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से सम्मानित किया। फिजिक्स में मास्टर डिग्री रखने वाले गोपालकृष्णन का आईटी क्षेत्र में करियर कई दशकों का रहा है और उनका नाम इस क्षेत्र में अत्यधिक सम्मान के साथ लिया जाता है। हालांकि, अब इस मामले में उनका नाम आने से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है, और वह भी उस समय जब वह मुख्य आरोपी नहीं हैं।
इस केस में गोपालकृष्णन का नाम फंसना निश्चित ही चिंता का विषय है क्योंकि वह भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रतिष्ठित शख्सियत माने जाते हैं। उनकी इस विवाद में शामिल होने की संभावना से इन्फोसिस और अन्य संबंधित संस्थानों को कानूनी और सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
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