उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) सोमवार से प्रभावी हो जाएगी, जिससे यह देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां UCC कानून लागू होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि इस ऐतिहासिक कदम के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि UCC के लागू होने के बाद प्रदेश में जाति और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।
UCC के लागू होने के साथ ही राज्य में हलाला और बहुविवाह जैसी कुरीतियां समाप्त हो जाएंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और अब यह अधिनियम प्रदेश में लागू होने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी UCC का एक पोर्टल भी लॉन्च करेंगे।
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद राज्य में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। अब लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा और अलग होने की स्थिति में पोर्टल पर इसकी जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही तलाक और विरासत से संबंधित रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन कर दिया जाएगा। UCC के तहत उत्तराधिकार का दावा करने के लिए गवाह की जरूरत होगी, जबकि तलाक लेने के लिए कोर्ट की मंजूरी अनिवार्य होगी। इसके अतिरिक्त, शादी के संबंध तोड़ने पर 60 दिन के भीतर पोर्टल पर सूचना देनी होगी।
राज्य में UCC को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पंचायत, पालिका और निगम स्तर पर उप रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार की नियुक्ति की जाएगी। मुख्यमंत्री धामी ने इस कानून को लागू करने की प्रतिबद्धता मार्च 2022 में दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद जताई थी। उन्होंने अपने पहले ही मंत्रिमंडल की बैठक में UCC प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और इसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन की घोषणा की थी।
विशेषज्ञ समिति का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज रंजना प्रकाश देसाई ने किया। यह समिति 27 मई 2022 को गठित हुई थी और डेढ़ साल के विस्तृत विचार-विमर्श के बाद विभिन्न समुदायों से बातचीत के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की। यह रिपोर्ट 2 फरवरी 2024 को राज्य सरकार को सौंपी गई, जिसके आधार पर 7 फरवरी 2024 को विधानसभा के विशेष सत्र में UCC विधेयक पारित हुआ। इसके बाद, 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी। उत्तराखंड सरकार का दावा है कि UCC से राज्य में सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा और हर नागरिक को समान अधिकार सुनिश्चित होंगे। अब देखना होगा कि यह कानून समाज और प्रशासन में कितनी सकारात्मकता लेकर आता है।
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