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अमेरिका से भारत लाया जाएगा 26/11 का गुनहगार तहव्वुर राणा, US कोर्ट का बड़ा फैसला

 19 Dec 2025

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा ने अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। वर्तमान में राणा लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है।


कौन है तहव्वुर राणा?


तहव्वुर राणा, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सक्रिय सदस्य माना जाता है। 2008 के मुंबई हमलों में उसकी भूमिका बेहद अहम मानी गई थी। राणा पर आरोप है कि उसने 26/11 हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई में हमलों के लिए महत्वपूर्ण स्थानों की रेकी करने में मदद की थी। राणा का नाम मुंबई पुलिस द्वारा 26/11 आतंकी हमले के चार्जशीट में शामिल किया गया था। आरोप है कि उसने पाकिस्तान से आए आतंकियों को मुंबई में लक्षित स्थानों का नक्शा तैयार कर सौंपा था।

तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली बचपन के दोस्त हैं। हेडली, जो अमेरिकी नागरिक है, का असली नाम दाउद सईद गिलानी है। उसने अमेरिकी अधिकारियों के सामने 26/11 हमलों में अपनी भूमिका स्वीकार की थी और उसे 2013 में 35 साल की सजा सुनाई गई थी। राणा ने पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल में पढ़ाई की थी, जहां हेडली भी 5 साल तक पढ़ा। पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में काम करने के बाद राणा कनाडा शिफ्ट हो गया और कनाडाई नागरिक बन गया। बाद में उसने शिकागो में 'फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज' नाम से कंसल्टेंसी फर्म खोली, जिसकी एक शाखा मुंबई में भी थी। इसी कंपनी की आड़ में उसने हेडली को हमलों की तैयारी में मदद की।

26/11: 72 घंटे का आतंक


26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे। भारी हथियारों और गोला-बारूद से लैस इन आतंकियों ने 9 स्थानों पर हमला किया। हमलों में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस और मेट्रो सिनेमा जैसे प्रतिष्ठित स्थानों को निशाना बनाया गया। हमलों में 166 लोग मारे गए, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे, और 300 से अधिक लोग घायल हुए।

मुंबई पुलिस और सुरक्षा बलों ने 28 नवंबर की सुबह तक अधिकांश स्थानों को आतंकियों से मुक्त करा लिया था। हालांकि, ताज होटल में छिपे आतंकियों को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को 'ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो' लॉन्च करना पड़ा। यह ऑपरेशन 29 नवंबर को ताज होटल में बचे हुए अंतिम आतंकियों के खात्मे के साथ समाप्त हुआ।