महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में महा विकास आघाड़ी (MVA) को मिली करारी हार के बाद अब इस गठबंधन के भविष्य को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) के रिश्ते में भविष्य में किसी बड़े बदलाव का संकेत मिल सकता है। इस सब के बीच, उद्धव ठाकरे ने कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करते हुए यह संकेत दिया कि उनकी पार्टी आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में अकेले चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय ले सकती है। उन्होंने कहा, "हमारे कार्यकर्ता इस दिशा में बहुत उत्सुक हैं, और समय आने पर हम इस पर निर्णय लेंगे।"
ठाकरे ने कार्यकर्ताओं से यह भी अपील की कि वे पार्टी के साथ एकजुट रहें और समय आने पर अपनी आवाज उठाएं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महा विकास आघाड़ी की विधानसभा चुनावों में हार पर कड़ी आलोचना की थी, जिसका जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, "हमारी पार्टी के साथ कोई भी छेड़छाड़ करने की कोशिश न करे।" उन्होंने भाजपा को यह चुनौती दी कि वह कम से कम एक चुनाव तो बैलेट पेपर के माध्यम से कराए। उनका इशारा महाराष्ट्र में हो रहे चुनावों की ओर था, जहां भाजपा की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है, लेकिन ठाकरे ने इसे चुनौती देने का इरादा जाहिर किया।
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत, जो अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं, ने गुरुवार को दावा किया कि महाराष्ट्र को जल्द ही तीसरा उपमुख्यमंत्री मिलेगा और यह पद शिवसेना-शिंदे गुट से ही संबंधित होगा। उन्होंने कहा, "सत्ता आती-जाती रहती है, लेकिन हम यहां मजबूती से खड़े हैं। हमें किसी से डरने की जरूरत नहीं है।"
शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की 99वीं जयंती के अवसर पर उद्धव ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "मैंने यह कार्यक्रम यह जानने के लिए आयोजित किया है कि कितने लोग मेरे साथ खड़े हैं। जब तक आप शिवसैनिक हैं, मैं आपका पार्टी अध्यक्ष रहूंगा। हम गद्दारों को उनकी सही जगह दिखाएंगे।" उनका यह बयान पार्टी के अंदर की असहमति और टूट-फूट के संभावित संकेतों को लेकर आया है, जहां शिवसेना के कुछ सदस्य उद्धव ठाकरे से अलग हो गए हैं और शिंदे गुट के साथ जुड़ गए हैं।
ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई यह आरोप लगाएगा कि उन्होंने बालासाहेब ठाकरे के मूल सिद्धांतों को त्याग दिया है, तो वह बिना किसी हिचकिचाहट के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे। यह उनका स्पष्ट संदेश था कि वह अपनी पार्टी और उसके सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगे। इसके साथ ही, उन्होंने भविष्य में पार्टी के चुनावी रास्ते पर संकेत दिए, यह कहते हुए कि यदि कार्यकर्ता चाहते हैं, तो पार्टी अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी और इसका निर्णय पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छाओं और समर्थन के आधार पर लिया जाएगा।
उद्धव ठाकरे ने भाजपा के हिंदुत्व को पूरी तरह से नकारते हुए उसे 'नकली हिंदुत्व' करार दिया। उनका कहना था कि शिवसेना (UBT) प्रगतिशील और राष्ट्रवादी हिंदुत्व का पालन करती है, जो केवल एक वोट बैंक की राजनीति नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए है। उन्होंने भाजपा के हिंदुत्व पर यह आरोप लगाया कि वे केवल राजनीति की दृष्टि से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बाद, ठाकरे ने राम मंदिर के निर्माण पर भी सवाल उठाया और कहा कि राम मंदिर के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के एक साल बाद भी मंदिर निर्माण की प्रगति बहुत धीमी है। उनका कहना था कि यदि केंद्र सरकार राम मंदिर के निर्माण में इतनी ही गंभीर थी, तो अब तक इसे पूरा हो जाना चाहिए था।
इस बीच, महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तारीखें नजदीक आ रही हैं, और यह चुनाव राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं। आगामी चुनावों में शिवसेना (UBT) और महा विकास आघाड़ी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, विशेषकर यदि वे अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरते हैं। इसके साथ ही, महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर सबकी निगाहें हैं, क्योंकि यह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए संकेत दे सकता है कि राज्य में कौन सी पार्टी या गठबंधन सत्ता पर काबिज होगा।
यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि महाराष्ट्र में आगामी चुनावों और राजनीतिक समीकरणों के लिए रणनीतियां तेजी से बदल रही हैं, और इससे भविष्य में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है।
Read This Also:- UP Bypoll: मिल्कीपुर उपचुनाव में BJP का बड़ा दाव, मुलायम की छोटी बहु ‘अपर्णा’ को उतारा चुनावी मैदान में, यादवों को साधना मक़सद