अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश को असंवैधानिक करार दिया है, जिसके तहत जन्म के आधार पर नागरिकता (बर्थराइट सिटिजनशिप) को समाप्त करने का प्रयास किया गया था। यह आदेश उन बच्चों की नागरिकता को प्रभावित करता, जिनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक नहीं हैं, लेकिन उनका जन्म अमेरिका में हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान इस आदेश को लागू करने का प्रयास किया था। इसके चलते अगले महीने तक लाखों लोगों को अपनी नागरिकता छिनने का डर था। हालांकि, कोर्ट ने आदेश को संविधान के खिलाफ बताते हुए रद्द कर दिया।
कोर्ट का सख्त रुख
सुनवाई के दौरान फेडरल कोर्ट के जज ने आदेश की कड़ी आलोचना करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया। न्याय विभाग के बचाव को खारिज करते हुए जज ने कहा, "यह समझ से बाहर है कि कोई कानूनी विशेषज्ञ इस आदेश को संवैधानिक कहे।" जज ने टिप्पणी की कि 14वें संशोधन के तहत यह आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी है। बर्थराइट सिटिजनशिप का मामला अमेरिका के 14वें संशोधन से जुड़ा है, जिसे 1868 में गृह युद्ध के बाद अपनाया गया था। यह संशोधन अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी व्यक्तियों को नागरिकता का अधिकार देता है। यह संशोधन 1857 के ऐतिहासिक ड्रेड स्कॉट फैसले के जवाब में लागू किया गया था, जिसमें गुलाम रहे अश्वेतों और उनके वंशजों को नागरिकता से वंचित कर दिया गया था।
1898 में यूनाइटेड स्टेट्स बनाम वोंग किम आर्क मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि गैर-नागरिक माता-पिता से जन्मे बच्चों को भी अमेरिकी नागरिकता का अधिकार है। ट्रंप का आदेश इस लंबे समय से चली आ रही परंपरा को पलटने की कोशिश करता है।
भारतीय समुदाय पर असर
ट्रंप के इस आदेश का भारतीय मूल के प्रवासियों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता। अमेरिकी जनगणना ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 54 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की कुल आबादी का 1.5% हैं।
यदि यह आदेश लागू हो जाता, तो पहले पीढ़ी के भारतीय प्रवासियों के लिए अमेरिकी नागरिकता पाना बेहद मुश्किल हो जाता। इसके अलावा, ग्रीन कार्ड के इंतजार में बैठे परिवारों की उम्मीदों पर भी पानी फिर जाता। अनुमान के मुताबिक, हर साल लगभग 1.5 लाख नवजातों की नागरिकता खतरे में पड़ जाती। आदेश की तय समय सीमा के कारण कई भारतीय परिवार अपने बच्चों की नागरिकता सुनिश्चित करने के लिए फरवरी 2025 से पहले प्रसव कराने की योजना बना रहे हैं। यह दिखाता है कि ट्रंप का आदेश कितनी बड़ी चिंता का कारण बन गया था।
Read This Also:- संविधान संशोधन के बाद ट्रंप को मिल सकता है तीसरा कार्यकाल, रिपब्लिकन सांसद ने पेश किया प्रस्ताव