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स्वाति मालीवाल ने AAP से इस्तीफा न देने के सवाल का दिया जवाब, केजरीवाल और आतिशी को दी चुनौती

 31 Dec 2025

राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक (PA) विभव कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया था, जिसके बाद से वह आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रही हैं। पिछले कुछ महीनों से स्वाति मालीवाल की नाराजगी और उनकी पार्टी के खिलाफ टिप्पणियाँ लगातार सुर्खियों में रही हैं। इस दौरान यह सवाल भी उठने लगा था कि आखिर जिस पार्टी के कोटे से वह राज्यसभा पहुंची हैं, उससे इतनी नाराजगी होने के बावजूद उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया। स्वाति मालीवाल ने गुरुवार को इस सवाल का जवाब दिया और अपनी स्थिति स्पष्ट की। स्वाति मालीवाल ने इस्तीफे के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें कोई भी पद या कुर्सी का मोह नहीं है। उनका कहना था, "मैं हमेशा से जमीनी कार्यकर्ता रही हूं और आगे भी रहूंगी।" 


स्वाति मालीवाल ने अपनी जिंदगी के संघर्षों को याद करते हुए बताया कि 2006 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने झुग्गियों में जाकर काम करना शुरू किया। उन्होंने सात साल तक झुग्गियों में काम किया, जहां उन्होंने गरीब और वंचित समुदायों के लिए काम किया और उनकी आवाज उठाई। स्वाति ने यह भी बताया कि वह 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' आंदोलन के दौरान सबसे युवा कोर कमेटी की सदस्य थीं, जिसने पूरे देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूक किया था। इसके बाद, वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनीं, जहां उन्होंने एक लाख 70 हजार से अधिक मामलों की सुनवाई की और महिलाओं के अधिकारों के लिए लगातार काम किया। स्वाति मालीवाल ने कहा कि यह पद उनका व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक कार्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का परिणाम है। यही वजह है कि वह इस्तीफा नहीं देंगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका जो कुछ भी हासिल हुआ है, वह अपनी मेहनत और संघर्ष से ही हासिल किया है, और वह कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेंगी। 

 गुरुवार को स्वाति मालीवाल ने आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं, खासकर अरविंद केजरीवाल और राज्यसभा सांसद आतिशी को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, "एक नेता या सांसद को काम करने के लिए केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस करना पर्याप्त नहीं है। एक नेता को जनता के बीच जाकर जमीनी स्तर पर काम करना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से केजरीवाल और आतिशी ऐसा करने के बजाय केवल मीडिया के सामने बयानबाजी करते हैं।" स्वाति मालीवाल ने दोनों नेताओं को चुनौती दी कि अगर वे सचमुच देश और दिल्ली के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो उन्हें अपनी बातों को जमीन पर उतारना चाहिए और खुद को जनता के बीच साबित करना चाहिए। जब उनसे यह सवाल किया गया कि उन पर अक्सर बीजेपी की एजेंट होने का आरोप क्यों लगता है, तो स्वाति मालीवाल ने इसका जवाब देते हुए कहा, "यह सिर्फ एक तरीका है विरोधियों का अपनी नाकामी छिपाने का। जो भी हमारे काम या सवालों पर सवाल उठाता है, उसे तुरंत बीजेपी का एजेंट कह दिया जाता है।" स्वाति ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और शांति भूषण को पार्टी से निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने सवाल उठाए थे। वह बताती हैं, "इन दोनों नेताओं को पार्टी से बाहर किया गया, जबकि वे पार्टी के संस्थापक सदस्य थे और वर्षों से उस पार्टी का हिस्सा थे।" स्वाति मालीवाल ने यह भी कहा कि उन्हें किसी पार्टी का एजेंट बनने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह केवल सच और अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं। 

 स्वाति मालीवाल का यह बयान न केवल उनकी आत्मनिर्भरता और संघर्षशीलता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वह किसी भी दबाव में आकर अपने मूल सिद्धांतों से समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह आम आदमी पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही स्तरों पर काम करने में सक्षम हैं, और अपनी आवाज उठाते रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें किसी पार्टी या व्यक्ति से क्यों न टकराना पड़े।

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