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न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी अवैध, वे रिहाई के हक़दार - सुप्रीम कोर्ट

 15 May 2024

सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश दिया है। कोर्ट ने आतंकवाद विरोधी क़ानून (यूएपीए) के तहत उनकी गिरफ़्तारी को अवैध बताया है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने प्रबीर की गिरफ़्तारी का कोई आधार ही नहीं बताया है, ऐसे में उनकी गिरफ़्तारी का कोई सवाल ही नहीं उठता है। उनका रिमांड अवैध है, प्रबीर रिहाई के हक़दार हैं। कोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने की।



कोर्ट में क्या हुआ

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने प्रबीर के रिमांड की कॉपी उपलब्ध नहीं करवायी हैं, ऐसे में गिरफ़्तारी क़ानूनी रूप से अवैध है। पुलिस का तर्क है कि प्रबीर की गिरफ़्तारी का आधार रिमांड अर्जी में दिया गया था जिसकी कॉपी प्रबीर के वक़ील को बहुत दिनों बाद दी गयी थी। कोर्ट ने प्रबीर को सुबह 6 बजे मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने की जल्दबाजी पर भी सवाल उठाया । हालाँकि पुलिस ने बताया कि ऑर्डर में समय गलत प्रिंट हुआ है, लेकिन कोर्ट ने पुलिस की इस दलील को ख़ारिज कर दिया।कोर्ट में प्रबीर की तरफ़ से कपिल सिब्बल और सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलीलें पेश की।


प्रबीर पर आरोप क्या हैं?

भारत सरकार ने प्रबीर पर राष्ट्र-विरोधी प्रचार के लिए चीन से फंड पाने का आरोप लगाया है। पुलिस ने मामले की जाँच करते हुए प्रबीर को 3 अक्टूबर 2023 को गिरफ़्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने प्रबीर पर राष्ट्र विरोधी कानून यूएपीए की धाराएँ लगायी हैं।

इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रबीर की गिरफ़्तारी को वैध बताया था। प्रबीर ने उच्च न्यायालय के फ़ैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी मामले में न्यूज़क्लिक के एचआर (कंपनी का ह्यूमन रिसोर्स पद) प्रमुख़ अमित चक्रवर्ती ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी। लेकिन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लिए सरकारी गवाह बनने के बाद उन्होंने अपनी याचिका को वापस ले ली थी।


ज़मानत ट्रायल कोर्ट के अनुसार होगी

क़ानून संबंधित न्यूज़ वेबसाइट लाइव लॉ के अनुसार, बेशक सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश दे दिया है। लेकिन प्रबीर की रिहाई ट्रायल कोर्ट के मुताबिक़ होगी, जिसमें उनके ख़िलाफ़ मामले की सुनवाई चल रही है। प्रबीर को ट्रायल कोर्ट में ज़मानत बॉन्ड भी पेश करना होगा, क्योंकि मामलें में चार्जशीट दायर की जा चुकी है।