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मणिपुर की आग से मिज़ोरम में झुलस गयी बीजेपी की चुनावी संभावना
25 Oct 2023

मणिपुर में लगी आग से उत्तर पूर्व में BJP का भविष्य झुलसता दिख रहा है। मिज़ोरम (Mizoram) में 7 नवंबर को विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) का मतदान होगा। मणिपुर न जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) वहाँ चुनाव प्रचार के लिए जाने वाले हैं, लेकिन मिज़ोरम के मुख्यमंत्री और मिज़ो नेशनल फ्रंट (Mizo National Front) के नेता जोरमथंगा (Joramthanga) ने कहा है कि वो प्रधानमंत्री के साथ चुनावी मंच साझा नहीं करेंगे। जोरमथंगा की पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट नार्थ डेमोक्रेटिक अलायंस का एक हिस्सा है और केंद्र में एनडीए के साथ है। BJP की अगुवाई में 2016 में नार्थ डेमोक्रेटिक अलायंस (Northern Democratic Alliance) को बनाया गया था ताकि गैर-कांग्रेस दलों को एक साथ लाया जा सके।
BBC को दिए साक्षात्कार में जोरमथंगा ने प्रधानमंत्री के साथ चुनावी मंच साझा नहीं करने का कारण भी बताया है। उनका कहना है, कि “मैं प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा नहीं करूंगा, क्योंकि वो बीजेपी से हैं और मिज़ोरम में सभी ईसाई लोग हैं। मणिपुर में मैतेई लोगों ने सैकड़ों चर्चों को आग लगा दी। यहां के सभी लोग इस विचार के ख़िलाफ़ हैं। अगर ऐसे समय में मेरी पार्टी बीजेपी के प्रति कोई सहानुभूति रखती है तो यह उसके लिए बहुत नुकसानदेह होगा। ऐसे में अगर प्रधानमंत्री यहां (मिज़ोरम) आते हैं तो ये उनके लिए भी बेहतर होगा कि वो मंच पर अकेले रहें और मेरे लिए भी बेहतर होगा कि मै अलग मंच पर रहूँ। ये हम दोनों के लिए ही बेहतर होगा।” हालाँकि जोरमथंगा ने केंद्रीय स्तर पर BJP से दूरी बनाने से इनकार किया है पर उनकी हिचक उत्तर पूर्व मे BJP के लिए पैदा हुए संकट की बानगी तो है ही।

मिज़ोरम का सियासी भूगोल
मिज़ोरम एक पूर्वोत्तर राज्य है। इसके पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश है। मिज़ोरम की आबादी का 87% ईसाई हैं, हिंदू 3.55%, बौद्ध 7.93% हैं और मुस्लिम लगभग 1.1% हैं। कांग्रेस और BJP के अलावा मिज़ो नेशनल फ्रंट और जोरम पीपुल्स मूवमेंट जैसी क्षेत्रीय पार्टियाँ भी यहाँ की राजनीति में दखल रखती हैं। मिज़ोरम के पड़ोसी राज्य मणिपुर में जारी हिंसा की आग ने मिजोरम की राजनिति को भी प्रभावित करना शुरु कर दिया है। जोरमथंगा का प्रधानमंत्री को लेकर बयान उसी की नतीजा है।
मिज़ोरम में विधानसभा की 40 सीटें हैं यानी बहुमत के लिए 21 सीटों की ज़रूरत है। एबीपी- ‘सी वोटर’ सर्वे (ABP- ‘Sea Voter’ survey) के मुताबिक इस बार मिज़ोरम में किसी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। मिज़ो नेशनल फ्रंट (MNF) को 40 सीटों में से 13 से 17 मिल सकती है, कांग्रेस को 10 से 14 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, साथ ही जोराम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) को 9 से 13 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के खाते में 1 से तीन सीटें जा सकती हैं। मिजोरम के पिछले विधानसभा चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट ने 40 में से 26 सीटें जीती थीं, जोराम पीपुल्स मूवमेंट को आठ और कांग्रेस को पांच सीटें हासिल हुई थीं। BJP ने 2018 के चुनाव में 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तब उसे एक सीट पर जीत हासिल हुई थी । मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल 17 दिसंबर को खत्म होगा।
'मणिपुर हिंसा' (Manipur violence) मिज़ोरम में चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है। इस हिंसा के कारण मिजोरम मे भी मणिपुरी के तमाम लोगो ने शरण ली है। मुख्यमंत्री जोरमथंगा मणिपुर हिंसा पर मुखर होकर बोल रहे हैं। ईसाई बहुल प्रदेश होने के कारण जोरमथंगा किसी भी तरह का चुनावी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। इसी के तहत प्रधानमंत्री से भी दूरी बनाने से नहीं हिचक रहे हैं। मणिपुर में लगभग छह महीने से हिंसा हो रही है। दुनिया भर में इसकी गूँज है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार भी वहाँ का दौरा नहीं किया। इसीलिए उनके मिज़ोरम के चुनावी दौरे को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। राहुल गाँधी ने मणिपुर का दौरा करके उन्हें एक तरह से चुनौती दी थी। ज़ाहिर है, बीजेपी के लिए उत्तर पूर्व एक दुश्चक्र बनता जा रहा है। मिज़ोरम में चुनाव प्रचार करने जा रहे पीएम मोदी, इन सवालों का क्या जवाब देते हैं, इस पर सबकी नज़र रहेगी।
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