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अडानी के कोयला घोटाले की ख़बर पर राहुल ने मोदी को घेरा
19 Oct 2023

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने गौतम अडानी की कंपनी पर लगे कोयला खरीद घोटाले की सरकार से जाँच कराने की माँग की है। उन्होंने इस सिलसिले में फाइनेंसियल टाइम्स में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए सवाल किया कि सरकार आख़िरकार गौतम अडानी पर लगे इस गंभीर आरोप की जाँच क्यों नहीं कराना चाहती। इससे सीधे-सीधे प्रधानमंत्री की निष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं। हिंडनर्बग रिसर्च की रिर्पोट से लगे दाग़ को धोने की जुगत भिड़ा रहे गौतम अडानी को पिछले दिनों ब्रिटेन के अख़बार 'फाइनेंशियल टाइम्स' (एफटी) की रिर्पोट से भी तगड़ा झटका लगा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप ने " दूसरे देशों से कोयला खरीद कर दोगुने दाम पर भारतीयों को बेचा है”। बुधवार को राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि अडाणी ने 32 हजार करोड़ का घोटाला किया है। उन्होंने कहा कि बिजली के दाम में इज़ाफे़ के पीछे अडानी समूह है। उसने हर युनिट बिजली की खपत पर जनता की जेब से पैसे लूटे हैं। फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने 12 अक्टूबर को “The mystery of the Adani coal imports that quietly doubled in value” शीर्षक के साथ एक खोजी रिपोर्ट छापी थी। इस रिपोर्ट में कंपनी के कस्टम रिकॉर्ड्स का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि दो वर्षों तक कंपनी ने ताइवान, दुबई और सिंगापुर में बिचौलियों के ज़रिए क़रीब 42 हज़ार करोड़ रुपये का कोयला आयात किया। फिर कंपनी ने इसे बाज़ार मूल्य से लगभग दोगुने दाम पर बेच दिया। एफटी के अनुसार इनमें से एक कंपनी का स्वामित्व एक ताइवानी व्यवसायी है जो दरअसल अडानी की कंपनियों का छिपा हुआ शेयरधारक है। इस रिर्पोट के आने के बाद 13 अक्टूबर को अदानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भी काफी गिरावट आई थी । एफटी ने 2019 से 2021 के बीच अडानी की एक कंपनी द्वारा इंडोनेशिया से भारत मंगाए गए कोयले की 30 खेप से जुड़े दस्तावेजों का अध्ययन किया है। रिर्पोट के मुताबिक जनवरी 2019 से अगस्त 2021 के बीच ग्रुप के 30 ऐसे शिपमेंट्स हैं, जिनकी क़ीमत और बाज़ार मूल्य में लगभग 607 करोड़ रुपये का फ़र्क़ है। जब ये 30 शिपमेंट इंडोनेशिया के तटों से निकले, तो इनका निर्यात मूल्य कुल 139 मिलियन डॉलर यानी लगभग 1,157 करोड़ रुपये था और भारत पहुंचते ही इनका आयात मूल्य 215 मिलियन डॉलर 1,789 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। यानी 52% की बढ़ोतरी। कुछ समय पहले बिजली दरों को लेकर भी अडानी की कंपनी पर आरोप लगे थे। अडानी पावर मुंद्रा लिमिटेड पर कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि गुजरात सरकार ने बिजली के लिए अडानी की इस कंपनी को 3,900 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया । तब भी ये आरोप लगा कि अडानी द्वारा जिस दर पर बाहर से कोयला खरीदा जा रहा है वो बाजार दर से काफी ज्यादा है। दिलचस्प बात ये है कि अडानी समूह ने इस रिर्पोट के प्रकाशित होने के पहले से ही पेशबंदी शुरू कर दी थी। अडानी ग्रुप की और से कहा गया था कि "पहले नाकाम रहने के बाद अब 'फाइनेंशियल टाइम्स' कोयला आयात के ज़्यादा इन्वॉयसों के पुराने और निराधार आरोप को उछालकर अदानी ग्रुप को वित्तीय रूप से अस्थिर करने की एक और कोशिश कर रहा है..." ग्रुप के मुताबिक, 'फाइनेंशियल टाइम्स' की प्रस्तावित स्टोरी राजस्व आसूचना निदेशालय ( DRI) के जनरल अलर्ट सर्कुलर नंबर 11/2016/CI 30 मार्च, 2016 पर आधारित है। 'फाइनेंशियल टाइम्स' का गलत इरादों वाला एजेंडा इस तथ्य से उजागर होता है कि उन्होंने सिर्फ अडानी ग्रुप का नाम लिया है, जबकि DRI के सर्कुलर में कम से कम 40 इम्पोर्टरों का ज़िक्र है. लेकिन अडानी ग्रुप ने यह नहीं बताया कि डीआरआई ने इस मामले की जाँच को अंजाम तक नहीं पहुँचाया था। आखि़र ये किसके दबाव का नतीजा था। बहरहाल, फायनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट पर भारतीय मीडिया चुप्पी साधे है लेकिन राहुल गाँधी ने इसे मुद्दा बना दिया है। अगर मोदी सरकार चुप रहती है तो पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी ये मुद्दा बनेगा क्योंकि महँगी बिजली का सवाल मतदाताओं को परेशान करने वाला सवाल है। बीजेपी को इस सवाल से जूझना ही पड़ेगा।