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पीएम मोदी को क्यों सौंपा जाएगा सेंगोल? क्या है राजदंड?
29 May 2023

भारत के नए संसद के लोकार्पण (Inauguration of New Parliament) को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ। 28 मई को दुनिया भारत के नए संसद के साथ-साथ राजदंड को भी देखेगी, राजदंड मतलब सेंगोल। जिसकी जानकारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने दी। गृह मंत्री अमित शाह ने 24 मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। नई संसद के उद्घाटन के मौके पर ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। नई संसद में सेंगोल (राजदंड) को स्थापित किया जाएगा। बहुत से लोगों के दिमाग में एक बात जरूरी आ रही होगी कि आखिर संसद में सेंगोल का क्या काम है? क्या रिश्ता है? रिश्ता आज का नहीं है, रिश्ता उतना ही पुराना है जितना आजादी का है, ऐसा नहीं है कि सेंगोल को 1947 में पहली बार देखा गया हो या बनाया गया हो।

जब देश को आज़ाद किया जा रहा था। तब अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Viceroy Lord Mountbatten) के मन में एक सवाल आया कि आखिर कैसे स्वराज भारत को सौंपे? इसके लिए कोई यादगार वस्तु होनी चाहिए? इसका ज्रिक उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी किया। पंडित नेहरू ने इसके बारे जाने माने स्वतंत्रता सेनानी श्री सी राज गुपालाचारी के सामने रखा, सी राज गुपालाचारी तमिलनाडु से थे। उन्होंने आजादी के प्रतिक को भारत के इतिहास में देखा। तमिलानाडु के चोला स्वराज में उन्हें वो प्रतिक मिला जिसे वो खोज रहे थे। तमिलानाडु के चोला में सत्ता का शासन एक राजा से दूसरे राजा को सेंगोल (Sengol) देकर सौंपा जाता था।

श्री सी राज गुपालाचारी जी ने पंडित नेहरू को इस परंपरा और कार्यक्रम की सलाह दी और नेहरू जी ने इसे खुशी-खुशी स्वीकार किया। इसके बाद 14 अगस्त 1947 की आधी रात को जब भारत आजाद हुआ तो भारत की स्वतंत्रता और सत्ता हस्तांतरित के तौर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को यही सेंगोल सौंपा गया था। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में एक बार फिर इस प्रक्रिया को दोहराया जाएगा।

सेंगोल क्या है?
सेंगोल (Sengol) को हिंदी में राजदंड कहते हैं, इसका इस्तेमाल चोल साम्राज्य में होता था। जब चोल साम्राज्य का कोई राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित करता था तो सत्ता हस्तांतरण के तौर पर सेंगोल दिया जाता था। यह चोल साम्राज्य के समय से चली आ रही परंपरा है। खास तौर से तमिलनाडु और दक्षिण के अन्य राज्यों में सेंगोल को न्यायप्रिय और निष्पक्ष शासन का प्रतीक माना जाता है। कुछ इतिहासकार मौर्य और गुप्त वंश में भी सेंगोल को प्रयोग किए जाने की बात कहते हैं।

गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभी तक सेंगोल इलाहाबाद संग्रहालय (Allahabad Museum) में था। अब संसद भवन में इसे रखने से उचित कोई जगह नहीं हो सकती। यह हमारे देश की परंपरा का अहम अंग है। शासन न्याय और नीति के अनुरूप चले ये इसका भाव है।
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