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वो तीन रिपोर्ट जिसने गौतम अडानी की नींद उड़ दी है, लोन चुकाने के लिए पांच साल समय मांगने का सच!

 01 Apr 2023

अभी कुछ महीने पहले जो व्यक्ति विश्व का दूसरा सबसे अमीर आदमी था। वो अब समय पर लोन भी चुकाने के काबिल नहीं बचा है। जिस लोन को चुकाने की अवधि 18 महीने थी, उसके लिए वो अब 5 साल का समय देने की मांग कर रहा है। इसी व्यक्ति पर कुछ दिनों पहले हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट (Hindenburg Reportum) में Balancesheet गलत दिखाने, स्टॉक में हेरफेर, और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप लगाए थे और जिसके बाद उसके शेयर में भारी गिरवाटी आई है। अब द केन और रेटिंग एजेंसी फिच की रिपोर्ट (The Caine and Rating Agency Fitch Report) में गंभीर आरोप लगे है।

Gutam adani

 

गौतम अडानी (Gautam Adani) पर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी बार-बार अडानी को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को घेर रहे (Congress leader Rahul Gandhi also repeatedly speaks on PM Narendra Modi regarding Adani) हैं। मोदी-अडाणी भाई-भाई कह रहे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने तो यहां तक कह दिया कि अडानी के शेयर में पीएम मोदी के पैसे लगे हुए हैं। तीन रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप और गौतम अडानी को परेशान कर रखा है।

Economics times की एक खबर में फिच की रिपोर्ट (Fitch Report)  का हवाला देते हुए कहा कि पिछले साल अगस्त में गौतम अडानी ग्रुप ने एसीसी और अंबुजा सीमेंट (ACC and Ambuja Cement) को स्विट्जरलैंड की कंपनि होलसिम से 4 अरब डॉलर में खरीद लिया (Gautam Adani Group buys ACC and Ambuja Cement from Swiss company Holcim for $4 Billion) था। लेकिन अब वो 3 अरब डॉलर की रकम का ब्रिज लोन (Bridge Loan) 18 महीने में चुका नहीं पा रहे हैं। ऐसे में जो कुछ महीनों पहले विश्व की दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए थे। अब वो रकम चुकाने के लिए पांच साल का समय मांग रहे है, हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोप का खंडन किया है।

fitch report


वहीं द केन ने रिपोर्ट (The Cane Report) में कहा कि प्रवर्तकों ने गिरवी रखे गए शेयरों के बदले लिए कर्ज की किस्तें नहीं चुकाई हैं, लेकिन अडानी समूह ने केन की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों को सिरे से नकार दिया है और कहा कि केन की रिपोर्ट में गलत दावे किए गए हैं। उसने 2.15 बिलियन डॉलर के मार्जिन-लिंक्ड शेयर-बैक्ड लोन (Margin Linked Share Backed Loan) को समय से पहले ही पूरी तरह से चुका दिया है। समूह ने इस बारे में बयान जारी किया और कहा कि समूह की कंपनियों अडानी ग्रीन (Adani Green), अडानी पोर्ट्स (Adani Ports), अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) और अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के गिरवी रखे शेयर कम हुए हैं, वहीं शेयर बाजार ने अडानी ग्रुप को इस रिपोर्ट के बाद जवाब मांगा है।

Ken report

 

इस रिपोर्ट ने अडानी समूह के शेयरों पर बुरा असर किया। करीब एक महीने से अडानी समूह के शेयरों में चली आ रह तेजी पर इसने ब्रेक लगा दिया, इस रिपोर्ट के चलते महज दो दिनों में अडानी समूह की कंपनियों का एमकैप 01 बिलियन डॉलर से ज्यादा कम हो गए थे।

अदानी समूह की छाप भारत में हर जगह है, चाहे इसके कई प्रकार के उत्पाद हों या बंदरगाह या एयरपोर्ट में निवेश हो, हर जगह आपकों अडानी ग्रुप दिखाई दे देगी। अडानी की कंपनियां कहा कहा हैं? अदानी समूह भारत में एक विविध संगठन यानि Diverse Organization है जिसमें सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली 7 कंपनियां शामिल हैं।  

अदानी ग्रुप का सबसे बड़ा शेयरधारक यानि shareholder कौन है? अडानी के पास अदानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का 64% हिस्सा है - अदानी एसबी परिवार (Adani SB Family) के पास 55.27% है, जबकि 8.73% अदानी ट्रेडलाइन प्राइवेट लिमिटेड (Adani Tradeline Private Limited) के पास है, जहां गौतम और भाई राजेश अदानी निदेशकों को नियंत्रित कर रहे हैं। FII ने अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का 3.4%, अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) का 4.1%, अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) का 2.5% और अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) का 3.5% शेयर पर खरीदा रखा है।  

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी (LIC) ने गौतम अडानी की कंपनियों में भारी-भरकम निवेश किया हुआ है। 31 दिसंबर 2022 को निवेश 82,970 करोड़ रुपये था, जो 23 फरवरी 2023 को तक कम होकर 33,242 करोड़ रुपये रह गया। 

अडानी ग्रुप ने कितने कर्ज लिया है? (Adani Group Loan)

 *एसबीआई (SBI) ने अडानी ग्रुप को दिया हुआ है 27,000 करोड़ का कर्ज 

*LIC ने कुल निवेश का 1% से भी कम अडानी ग्रुप में लगाया है 

*इंडसइंड बैंक लोन बुक (Indusind bank loan book) का 0.5% अडानी को दिया है कर्ज 

बार्कलेज पीएलसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी और ड्यूश बैंक एजी उन बैंकों में शामिल (Barclays Plc, Standard Chartered Plc and Deutsche Bank AG are among those banks) हैं, जिन्होंने पिछले साल होल्सिम लिमिटेड की सीमेंट संपत्ति की खरीद के लिए अडानी को 4.5 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया था। जिसे चुकाने के लिए अडानी ग्रुप समय मांग रहा है।

वो तारीख जिसने अडानी ग्रुप की जड़े सबसे पहले हिलाकर रख दी। 

24 जनवरी 2023 ये वो तारीख़ है, जिसने भारतीय उद्योगपति गौतम अदानी के लिए कई चीज़ें बदल दीं। इसी तारीख़ को अमेरिका की फॉरेंसिक फ़ाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (America's Forensic Financial Company Hindenburg Report) सामने आई थी। इस रिपोर्ट में अदानी समूह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। साथ ही रिपोर्ट में अदानी समूह से 88 सवाल पूछे गए थे, और कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। जैसे -Balancesheet गलत दिखाने, स्टॉक में हेरफेर, और मनी लॉन्ड्रिंग। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के 10 दिनों के भीतर वो रईसों की टॉप 20 लिस्ट से भी बाहर हो गए। इसके अलावा गौतम अदानी ने 20 हज़ार करोड़ रुपये के FPO को भी रद्द कर दिया था और कंपनी भारी नुकसान में है।

गौतम अडानी को अगर नुकसान होता है तो उनसे साथ-साथ देश की आम जनता के भी पैसे डूब जाएंगे। इसलिए विपक्ष बार-बार मोदी सरकार से गौतम अडानी को लेकर सवाल पूछ रही है। लेकिन राहुल गांधी 20 हजार करोड़ का जो मामला बार-बार क्यों उठा रहे हैं और इसका चीन से क्या नाता है ? राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि शेल कंपनियों के जरिए हजारों करोड़ रुपये का विदेशी पैसा अडानी ग्रुप में इन्वेस्ट किया गया, मतलब फेक कंपनियों के द्वारा निवेश अडानी ग्रुप मे किया गया है। इसमें से कुछ भारत के डिफेंस सेक्टर में भी एक्टिव हैं। जिसकों लेकर राहुल बार-बार मोदी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। 

PM modi

 

राहुल ने इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा' से जोड़ा, क्योंकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) में एक चाईना के निवेशक का जिक्र किया गया है, और भारत-चीन के बीच जो रिश्ते इस वक्त है, वो सभी को पता हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने कई चाइनिज कंपनियों को देश में बैन कर दिया। फिर अडानी ग्रुप में किसी चिनी को निवेशक कैसे बनाया गया है, और द केन की रिपोर्ट अगर गलत है तो शेयर बाजार ने अडानी ग्रुप (Adani Group) को नोटिस क्यों दिया है। जब इतने गंभीर सवाल देश के बड़े कारोबारी और उसकी कंपनी पर उठे, इस पर भारत सरकार को भी सामने आकर जांच करवाना चाहिए कि आखिर ये सभी रिपोर्ट सही है या गलत, क्योंकि ये जानना देश की जनता है हक है।


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